Book Title: Pattavali Parag Sangraha
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 521
________________ [ २ ] पृष्ठांक पंक्त्यक २३ १७ २५ ४ अशुद्ध भद्दीया बभदासिय तियं शुद्ध भद्रीया बंभदासिय बितियं त० तं. एत्य एत्थरण एत्यणं एत्थ एत्थ रणं एत्थणं २५ २५ २६ ११ १३ २६ २४ अंतिम २८ २४ २८ अंतिम २६४ २६ २१ कासवगुत्ते आर्य आर्यसिंह हत्थि तत्तोय रासवगुत्ते आय प्रायसिंह हत्थि तत्तो य दुर्जपन्त काश्यप गानाय स्यविर प्रौर बगाल पूजापाट दुर्जयंत ३० १० ३० ११ ३० १६ ३४ १५ ३७ १४ ३९८ ज्ञत काश्यप गोत्रीय स्थविर और बगाल पूजापट ज्ञात प्रार्य यह अयथार्थ गाथाओं वीस वासारिण यशोभद्र ४२ ४४ अर्य कह प्रयथाथ शाखामों वीसवसारिण यशाभद्र उनमें सभूतविजयजी २५ ८ ४६ ४७ २० १८ अंतिम २ ४८ ५२ उनसे १७ संभूतविजयजी Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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