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बालापुर की गादी की लौंका पहावली (8)
८. ऋषि जीवाजी ६. , कुवर जी - इनको बालापुर के श्रावकों ने श्रीपूज्य का पद
दिया, तब से इनकी गादी बालापुर में स्थापित हुई और “गुजराती लौंकापक्ष का छोटा पक्ष'' इस नाम से वह प्रसिद्ध हुई। इनके शिष्य ऋषि मेघजो अहमदाबाद की गादी ऊपर थे,
जिन्होंने संवेगो-मार्ग ग्रहण किया था। श्रीमलजी ११. , रत्नसिंहजो
., केशवजी - स्व० सं० १६८६ में । ., शिवजी - इनके शिष्य धर्मसिंह के शिष्य धर्मदासजी ने
"दण्ढिया" मत चलाया। १४. , संघराजजी - स्व० सं० १७२५ में । आनन्द ऋषि ने अपने
शिष्य ऋषितिलक को श्रीपूज्य बनाकर नया गच्छ स्थापित किया जो "अढारिया" के नाम
से प्रसिद्ध हुआ । १५. , सुखमलजी - स्वर्ग सं० १७६३ में। १६. , भागचन्द्रजी १७. " बालचंदजी १८. , माणिक्यचंदजी १६. , मूलचदजी - स्वर्ग सं० १८७६
, जगतचंदजी
, रतनचंदजो २२. , नृपचंदजी - (मुनि मणिलाल-कृत "प्राचीन संक्षिप्त इतिहास")
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