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भीखमजी के तेरापंथ सम्प्रदाय की आचार्य परम्परा
तेरापन्थी सम्प्रदाय स्थानकवासी साधु रघुनाथमलजी के शिष्य भिक्खूजी से चला । तेरापन्थी भिक्खूजी को श्री भिक्षुगणी के नाम से व्यवहृत करते हैं । श्चाज तक इस सम्प्रदाय को दो सौ वर्ष हुए और इसके उपदेशक प्राचार्य 8 हुए । नवों चाचार्यों की नामावलि क्रमश: इस प्रकार है -
(१) श्राचार्य श्री भिक्षुगणी
(२)
(३)
(४)
(५)
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(६),
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भारमल गणी
ऋषिराय गणी
जयगरणी - श्री मज्जयाचार्य
मघवागरणी
माणकगरणी
डालगणी
कालूगणी
तुलसीगणी
ऊपर की तेरापन्थी प्राचार्यों की नामावलि तेरापन्थी मुनि श्री नगराजजी लिखित "तेरापन्थ दिग्दर्शन" नामक पुस्तिका से उद्धृत की है । पुस्तिका में लेखक ने अतिशयोक्तियाँ लिखने में मर्यादा का उल्लंघन किया है, जिसका एक ही उदाहरण यहां उद्धृत किया जाता है -
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