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[ पट्टावली-पराग
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१६५२ में हुआ था, के शिष्य कलाजो ने भी संवेग. मार्ग स्वीकार किया था जो विजयानन्दसूरि के
नाम से प्रसिद्ध हुए थे। ११. यशवन्त ऋषि १२. रुपसिंहजी , १३. दामोदरजो, १४, कर्मसिंहजी, १५. केशवजो , गुजराती लौकागच्छ के बड़े पक्ष का दूसरा
नाम "केशवजी पक्ष' भी है। १६. तेजसिंहजो , १७. कानजी , १८. तुलसीदासजी, १६. जगरूपजी , २०. जगजीवनजी , २१. मेघराजजी , २२. सोमचन्दजी , २३. हरकचन्दजी , २४. जयचंदजी , २५. कल्याणचन्दजी, २६. खूबचन्दजी , २७. श्रीपूज्य न्यायचन्द्रसूरि
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