Book Title: Kasaypahudam Part 10
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Mantri Sahitya Vibhag Mathura
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गा० ६२] उत्तरपयलिउदोरणाए पणिक्खवपरूपणा
२२५. मालिशंहिचान उकस्से पुयद दुविहो णि०--ओषे० आदेसे० । ओघेण उक्क० वेड्डी कस्स ? अण्णदरस्स जो एगमुदीरेमाणो मदो देवो जादो तदो अट्ठ उदीरेदि तस्स उक्क० चड्डी। तस्सेव से काले उकस्समवट्ठाणं । उक्क. हाणी कस्स ? अण्णद० जो णव उदीरेमाणो संजमं पडिवण्णो तदो चत्तारि उदीरेदि तस्स उक्कस्सिया हाणी ।
२२६. आदेसेण णेरड्य० उक्क० बड्डी कस्स ? अएणद० छ उदीरेमाणो जो दस उदीरेदि तस्स उक्क० वड्डी। तस्सेव से काले उकय अवट्ठाणं । उक्क. हाणी कस्स ? अण्णद. जो णय उदीरेमाणो छ उदीरेदि तस्स उक० हाणी । एवं सब्वणेरड्य-देवा० जाव. णवगेवजा ति । तिरिक्ख-पंचितिरिक्खतिए उक० बड़ी कस्स ? एणद. जो पंच उदीरेमारगो दस उदीरेदि तस्स उक्क. उड्डी । तस्सेव से काले उकस्समवहाणं । उक्क हाणी कस्स ? अण्णद० णव उदीरे० पंच उदीरेदि तस्स उक्क० हाणी । पंचिदियतिरिक्खअपज्ज-मणुसअपञ्ज. उक्क० चड्डी कस्स ? अण्णद० अट्ट उदीरे० दस उदीरेदि तस्स उक्कस्सिया चड्डी । उक्त ० हाणी कस्स ? अण्णद. दस उदीरे० अट्ट उदीरेदि तस्स उक० हाणी । एगदरस्थ अबढाणं ।
२२७. मणुसतिए उक्क० बढी कस्स ? अण्णद० जो चत्तारि उदीरे० दस
६२२५ स्वामिन दो प्रकारका है-जघन्य और उत्कृष्ट । उत्कृष्टका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका है- और अादेश । ओघसे उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? एक प्रकृतिकी उदीरणा करनेवाला जा अन्यतर जीव मरकर देव हुआ और आठ प्रकृतियोंकी उदीरणा करने लगा उसके उत्कृष्ट वृद्धि होती है । उसीके तदनन्तर समयमें उत्कृष्ट अवस्थान होता है। उत्कष्ट हानि किसके होती है ? नौ प्रकृत्तियोंकी उदीरणा करनेवाला जो अन्यतर जीय संयमको प्राप्त हो चार प्रकृनियोंकी उदीरणा करता है उसके उत्कृष्ट हानि होती है।
२२६. श्रादेशसे नारकियों में उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है । छहकी उदीरणा करनेवाला जो अन्यतर जीव दमकी उदीरणा करता है उसके उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उसीके तदनन्तर समयमें उत्कृष्ट अवस्थान होता है। उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? नौकी उदीरणा करनेवाला जो अन्यतर जीव छहकी उदीरणा करता है उसके उत्कृष्ट हानि होती है। इसीप्रकार सब नारकी, सामान्य देव और नौ वेयक तकके देवों में जानना चाहिए । सामान्य सिर्यश्च और पन्नेन्द्रिय तिर्यत्रिकमें उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? पाँचकी उदीरणा करनेवाला जो अन्यतर जीव दसकी उदारणा करता है उसके उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उसीके तदनन्तर समयमें उत्कृष्ट अवस्थान होता है। उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? नौकी उदीरणा करनेवाला जो अन्यतर जीव पाँचकी उदीरणा करता है उसके उत्कृष्ट हानि होती है। पञ्नेन्द्रिय निर्यश्च अपर्याप्त और मनुष्य अपर्याप्त जीवों में उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? अाठकी उदीरणा करनेवाला जी अन्यतर जीव दसकी उदीरणा करता है उसके उत्कृष्ट वृद्धि होती है। उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? दसकी उदीरणा करनेवाला जो अभ्यतर जीव आठकी उदीरणा करता है उसके उत्कृष्ट हानि होती है। किसी एक जगह उत्कृष्ट अवस्थान होता है।
१२२७. मनुष्यत्रिकमें उत्कृष्ट वृद्धि किसके होती है ? चारकी उदीरणा करनेवाला जो