Book Title: Kasaypahudam Part 10
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Mantri Sahitya Vibhag Mathura
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गा०६२] उत्तरपजिउदीरणाए ठाणसमुकित्तणा पडिणिहे सो च उदयावलियम्भंतरपवेसेण तिण्हं पवेसस्स परिष्फुडमुवलंभादो।
तको अंतोमुटुत्तेण तिधिहा माया श्रोकडिदा । तत्थ मायासंजलणमुदए दिण्णं, दुविहमाया उदयावलियबाहिरे णिक्रिवत्ता। ताधे चत्तारि पयडोभी पविसंति ।
से काले छप्पयडोश्रो पविसंति ।
तदो अंतोमुहुत्तेण तिविही माणो ओकड्डियो । तस्थ माणसंजलणमुदए दिरणं, दुबिहो माणो उदयावलिययाहिरे णिकिग्वत्तो। साधे सत्त पयडीनो पविसंति ।
से काले एव पयडीओ पविसंति ।
ॐ तदो अंतोमुलुत्तेण तिविहो कोहो प्रोकड्डिदो । तत्थ कोहसंजालणमदए दिएणं, दुविहो कोहो उदयावलियबाहिरे णित्रिग्वत्तो। ताधे दस पयडोओ पविसंति ।
8 से काले वारस पयडीयो पविणार्यक - आचार्य श्री सुविधासागर जी म्हाराज
तदो अंतोमहुसेण पुरिसपेद-एणोकसायवेवणीयाणि ओकष्टिदाणि । तस्य पुरिसवेदी उदए दिएणों, पणोकसायवेदणीयाणि उदयानन्तर समयमें उदयावलिके भीतर प्रवेश हो जानेसे तीन प्रकृतियोंका प्रवेश स्पष्टरूपसे उपलब्ध होता है।
* तदनन्तर अन्तर्मुहूर्त बाद तीन प्रकारको मायाका अपकर्षण किया। उनमेंसे मायासंज्वलनको उदयमें दिया और दो प्रकारकी मायाका उदयावलिके बाहर निक्षेप किया । तब चार प्रकृतियाँ प्रवेश करती हैं।
* तदनन्तर समयमें छह प्रकृतियाँ प्रवेश करती हैं।
ॐ तदनन्तर अन्तर्मुहूर्त बाद तीन प्रकारके मानका अपकर्पण किया। उनमेंसे मानसंज्वलनको उदय में दिया और दो प्रकारके मानका उदयावलिके बाहर निक्षेप किया । तब सात प्रकृतियाँ प्रवेश करती हैं।
* तदनन्तर समयमें नौ प्रकृतियाँ प्रवेश करती हैं।
* तदनन्तर अन्तर्मुहूर्त बाद तीन प्रकारके क्रोधोंका अपकर्पण किया। उनमेंसे क्रोधसंज्वलनको उदयमें दिया और दो प्रकारके क्रोधोंका उदयावलिके बाहर निक्षेप किया । तब दस प्रकृतियाँ प्रवेश करती है।
* तदनन्तर समयमें बारह प्रकृतियाँ प्रवेश करती हैं।
* तदनन्तर अन्तर्मुहूर्त बाद पुरुषवेद और छह नोकपाय चेदनीयका अपकर्षण किया । उनमें से पुरुषवेदको उदयमें दिया और छह नोकषायवेदनीयका उदयापलिके