Book Title: Kasaypahudam Part 10
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Mantri Sahitya Vibhag Mathura

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Page 352
________________ गा० ६२] उत्तरपयडिद्विविउदीरणाए भुजगारअणिमोगहारं २३६ ७४२. परिमाणाणु० दुविहो णि-ओघेण आदेसेण य । भोघेण मिच्छ०णधुस० भुज० अप्प०-अवटि केत्तिया ? अणंता । अवत्त० केत्ति० १ असंखेजा । सोलसक०-छण्णोक० सयपदा के० १ अणता | सम्म०-सम्मामि०-इस्थिवे०-पुरिस० सव्यपदा के० ? असंखेसा । एवं तिरिकखा० । ७४३. सब्बणेर-सव्वपचितिरिक्ख-मणुसअपञ्ज-गबदेवा ति सबपय० "दिसिनपदी कार्सयाँ सुनिसिखान जी कारिअणुदिसादि अवराजिदा ति सम्म० अवत्तक केत्ति ? संखेजा । सबढे सयपयडीरणं सवपदा केत्ति या ? संखेना । ७४४. मणुसेसु मिच्छ० मोलमक०-सत्तणोक. सनपदा के० ? असंखेजा। णवरि मिच्छ०-णबुस० अवत्त० के० ? संखेजा। सम्म-सम्मामि-इस्थिवे०पुरिसवे. सधपदा के० ? संखेजा। मणुस पज-मणुसिणी० सम्वपयडीणं सबपदा के ? संखेजा । एवं जाव० 1 ७४५. खेत्ताणुगमेण दुविहो णि०-ओघेण आदेसेण य । ओघेण मिच्छ०सोलसक० सत्तणोक. सधपदा केवडि खेत्ते ? सन्चलोगे। णवरि मिच्छन्-एवंसक तक जानना चाहिए। ७४२. परिमाणानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है--ओघ और आदेश । श्रोधके - मिथ्यात्व और नपुंसकवेदकी भुजगार, अल्पतर और अवस्थित स्थितिके उदीरक जीव कितने हैं ? अनन्त है। अवसव्य स्थिति के उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। सोलह कपाय और छह नोकषायके सब पदोंके उदीरक जीव कितने हैं ? अनन्त हैं। सम्यक्त्व. सम्यग्मिध्यात्व, जीवेद और पुरुषवेदके सब पदोंके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। इसीप्रकार तियचोंमें जान लेना चाहिए। ४३. सब नारकी, सब पंचेन्द्रिय सियच, मनुष्य अपर्याप्त और सब देवों में सब प्रकृतियोंके सब पदोंके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात है । इतनी विशेषता है कि अनुदिशसे लेकर अपराजिततकके देवोंमें अवक्तव्य पदके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । सर्वार्थसिद्धिमें सब प्रकृतियोंके सब पदोंके उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं । ६७४४. मनुष्योंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकषायके सब पदोंके उदीरक जीव कितने हैं ? असंख्यात हैं। इतनी विशेषता है कि मिथ्यात्व और नपुंसकवेदकी प्रवक्तव्य स्थितिके उनीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, स्त्रीवेद और पुरुषवेदके सब पदोंके उदीरक जीव कितने हैं ! संख्यात हैं। मनुष्य पर्याप्त और मनुष्यिनियों में सब प्रकृतियोंके सब पदों के उदीरक जीव कितने हैं ? संख्यात हैं। इसीप्रकार अनाहारक मार्गणा सक जानना चाहिए। F७४५. क्षेत्रानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-प्रोध और आदेश। ओघसे मिथ्यात्व, सोलह कषाय और सात नोकषायके सब पदोंके उदीरक जीवोंका कितना क्षेत्र है ? सर्वलोक क्षेत्र है। इतनी विशेषता है कि मिथ्यात्व और नपुसकवेदकी प्रवक्तव्य स्थितिके

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