Book Title: Kasaypahudam Part 10
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Mantri Sahitya Vibhag Mathura
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गा० ६२] उत्तरपयडिउदोरणाप ठाणाणं सेसाणियोगदापरूवणा
* तेरसरहं पवेसगा संखेनगुणा |
३५२. किं कारणं ? अट्ठकसाएसु खबिदेसु ततो पहुडि जाव अंतरकरणं समाणिय समयणावलियमेत्तो कालो महादकताव भएदामी कालाटिनुचिल्लकालादोन संखेजगुणे तेरसपवेसगाणं संचयावलंबरणादो ।
नेवीसाए पवेसगा संखेजगुणा । ई ३५३. कुदो ? दंसणमोहक्खवणाए अन्मुट्ठिदेण मिच्छत्ते खबिदे तत्तो पहुडि जाव सम्मामिच्छनक्खवणचरिमसमयो ति ताव एदम्मि काले पुब्बिल्लकालादो संखेजगुणे संचिदजीवाणं गहणादो।
वावीसाए पवेसगा असंखेनगुणा । ई.३५४. कुदो ? पलिदोवमस्सासंखेजभागपमाणगादो ।
ॐ पणुवासाए पवेसगा असंखेज गुणा ।
ई ३५५. कुदो ? अणंताणुवंधिविसंजोयणाविरहिदाणमुक्समसम्माइट्ठीणं सासणसम्माइट्ठीणं च अंतोमुहृत्तसंचिदाणमिह गहणादो।
* सत्ताधीसाए पवेसगा असंवेनगुणा ।
६३५६. कुदो ? सम्मने उव्वेल्लिदे पुणो पलिदोवमासंखेजभागपमाणसम्मामि.. छत्तुन्वेलणाकालभंतरे पयदसंचयावलंबणादो।
एकवीसाए पवेसगा असंखेनगुणा । * उनसे तेरह प्रकृतिगेंके प्रवेशक जीव संख्यातगुणे हैं ।
६३.२. क्योंकि पाठ कषायोका क्षय करने पर वहाँसे लेकर अन्तरकरणको समाप्त कर एक समय कम श्रावलिमात्र काल जाने तक पहलेके कालसे संख्यातगुणे इस कालके भीतर तेरह प्रकृतियों के प्रवेशकोंके सञ्चयका अवलम्बन लिया है।
* उनसे तेईस प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव संख्यातगुणे हैं।
६ ३५३. क्योंकि दर्शनमोहनीयकी क्षपणाके लिए लद्यत हुए जीवके द्वारा मिथ्यात्वका क्षय कर देने पर यहाँसे लेकर सम्यग्मिथ्यात्वकी क्षपणाके अन्तिम समय तक पहलेके कालसे संख्यातगुणे इस कालके भीतर सञ्चित हुए जीवोंका यहाँ पर प्रहण किया है।
* उनसे बाईस प्रकृतियोंके प्रवेशक जीव असंख्यातगणे हैं । ३३५४. क्योंकि ये जीव पल्यके मसंख्यात भागप्रमाण हैं। * उनसे पच्चीस प्रकृतियों के प्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं ।
३५ . क्योंकि अन्तर्मुहूर्त कालके भीतर सञ्चित हुए. अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विसंयो. जनासे रहित उपशमसम्यग्दृष्टि और सासादन सम्यग्दृष्टि जीवोंका यहाँ पर ग्रहण किया है:
* उनसे सत्ताईस प्रकृतियों के प्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं।
३५६. क्योंकि सम्यक्त्वकी उद्वेलना कर लेने पर पुनः पल्य के असंख्यातवे भागप्रमाण सम्यग्मिथ्यात्वके उद्वेलनाकालके भीतर हुए प्रकृत सञ्चयका अक्लम्बन लिया गया है।
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