Book Title: Kasaypahudam Part 10
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Mantri Sahitya Vibhag Mathura
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भागो । एवं जाव० |
जयधवला सहिदे कसायपाहु दे
[ वेदगो ७
महासागर जी महाराज
९३८३ भाव सो ६३८४.
बहु० दुविहो णि० - श्रोषेण आदेसे० । श्रोषेण सव्वत्थोत्रा अवत्त० । अप्प० असंखे० गुणा । भुज० पवे० विसेसा० । श्रवद्वि० श्रणंतगुणा । ३३८५. आदेसेण रहय० सव्वत्थोरा अप्प०पवे० | भुज०पवे० विसेसा० । वडि० प० श्रसंखे० गुणा । एवं सव्वणिरथ० पंचिंदियतिरिक्खतिय ३ - देवा भवणादि जात्र ववज्ज्ञाति । पंचिंदियतिरिक्खयपज्ज० - मशुस अपज्ज० सव्वत्थोश अप्प०पवे० । श्रवडि०प० असंखे० गुणा ।
।
६३८६. तिरिक्खेसु सव्वत्थोवा अध्य०प० । भुज०पवे० विसेसा० । अट्टि०पवे० श्रणंतगुणा | मणुसेसु सव्वत्थोवा अवत्त ० पवे० । भुज० पवे० संखे० गुणा । अप्प०पवे० असंखे० गुणा | अवट्टि० पवे० असंखे० गुणा एवं मणूसपज्ज० - मणुसिणी० । वरि संखेज्जगुणं कायव्यं । श्रणुद्दिसादि सच्चङ्का ति सव्त्रत्थोवा भुज०पवे० । अप्प०पवे० असंखे० गुणा । अवट्टि० पवे० असंखे० गुणा । णरि सन्य संखेज्जगुणं कायव्यं । एवं जाव० ।
पल्य के असंख्यात भागप्रमाण है । इसीप्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए । 8 ३८३. भाव सर्वत्र औदयिक भाव है ।
६३८४. अल्पबहुत्वानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है— ओोष और आदेश । से वक्तव्य प्रवेशक जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे अल्पतरप्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं। उनसे भुजगारप्रवेशक जीव विशेष अधिक हैं। उनसे अवस्थितप्रवेशक जीव अनन्तगुणे हैं ।
$ ३८४. आदेश से नारकियोंमें अल्पतरप्रवेशक जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे सुनागर - प्रवेशक जी विशेष अधिक हैं। उनसे अवस्थितप्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं । इसीप्रकार सब नारकी, पचेन्द्रिय तिर्यञ्चत्रिक, सामान्य देव तथा भवनत्रिकसे लेकर नौ मैत्रेयकतकके देवों में जानना चाहिए । पञ्चेन्द्रिय तिर्यच अपर्याप्त और मनुष्य अपर्याप्तकों में अल्पतरप्रवेशक जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे अवस्थितप्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं।
६ २८६. तिर्यों में अल्पसरप्रवेशक जीव सबसे स्तोक हैं। उनसे भुजगारप्रवेशक जीव विशेष अधिक हैं। उनसे अवस्थितप्रवेशक जीव अनन्तगुणे हैं। मनुष्योंमें अवक्तव्य प्रवेशक जी सबसे स्तोक हैं। उनसे भुजगारप्रवेशक जीव संख्यातगुणे हैं। उनसे अल्पतरप्रवेशक जीव असंख्यातगुण हैं। उनसे अवस्थितप्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं। इसीप्रकार मनुष्य पर्याप्त और मनुष्यनियोंमें जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि इनमें श्रसंख्यातगुणे के स्थान में संख्यातगुणा करना चाहिए। अनुदिशसे लेकर सर्वार्थसिद्धितक के देशों में भुजगारप्रवेशक जीत्र सबसे स्तोक हैं। उनसे अल्पतरप्रवेशक जीव श्रसंख्यातगुणे हैं। उनसे अवस्थित प्रवेशक जीव असंख्यातगुणे हैं। इतनां विशेषता है कि सर्वार्थसिद्धि में असंख्यातगुणे के स्थान में संख्यातगुणा करना चाहिए । इसीप्रकार अनाहारक मार्गणा तक जानना चाहिए ।