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________________ १२९ गा०६२] उत्तरपजिउदीरणाए ठाणसमुकित्तणा पडिणिहे सो च उदयावलियम्भंतरपवेसेण तिण्हं पवेसस्स परिष्फुडमुवलंभादो। तको अंतोमुटुत्तेण तिधिहा माया श्रोकडिदा । तत्थ मायासंजलणमुदए दिण्णं, दुविहमाया उदयावलियबाहिरे णिक्रिवत्ता। ताधे चत्तारि पयडोभी पविसंति । से काले छप्पयडोश्रो पविसंति । तदो अंतोमुहुत्तेण तिविही माणो ओकड्डियो । तस्थ माणसंजलणमुदए दिरणं, दुबिहो माणो उदयावलिययाहिरे णिकिग्वत्तो। साधे सत्त पयडीनो पविसंति । से काले एव पयडीओ पविसंति । ॐ तदो अंतोमुलुत्तेण तिविहो कोहो प्रोकड्डिदो । तत्थ कोहसंजालणमदए दिएणं, दुविहो कोहो उदयावलियबाहिरे णित्रिग्वत्तो। ताधे दस पयडोओ पविसंति । 8 से काले वारस पयडीयो पविणार्यक - आचार्य श्री सुविधासागर जी म्हाराज तदो अंतोमहुसेण पुरिसपेद-एणोकसायवेवणीयाणि ओकष्टिदाणि । तस्य पुरिसवेदी उदए दिएणों, पणोकसायवेदणीयाणि उदयानन्तर समयमें उदयावलिके भीतर प्रवेश हो जानेसे तीन प्रकृतियोंका प्रवेश स्पष्टरूपसे उपलब्ध होता है। * तदनन्तर अन्तर्मुहूर्त बाद तीन प्रकारको मायाका अपकर्षण किया। उनमेंसे मायासंज्वलनको उदयमें दिया और दो प्रकारकी मायाका उदयावलिके बाहर निक्षेप किया । तब चार प्रकृतियाँ प्रवेश करती हैं। * तदनन्तर समयमें छह प्रकृतियाँ प्रवेश करती हैं। ॐ तदनन्तर अन्तर्मुहूर्त बाद तीन प्रकारके मानका अपकर्पण किया। उनमेंसे मानसंज्वलनको उदय में दिया और दो प्रकारके मानका उदयावलिके बाहर निक्षेप किया । तब सात प्रकृतियाँ प्रवेश करती हैं। * तदनन्तर समयमें नौ प्रकृतियाँ प्रवेश करती हैं। * तदनन्तर अन्तर्मुहूर्त बाद तीन प्रकारके क्रोधोंका अपकर्पण किया। उनमेंसे क्रोधसंज्वलनको उदयमें दिया और दो प्रकारके क्रोधोंका उदयावलिके बाहर निक्षेप किया । तब दस प्रकृतियाँ प्रवेश करती है। * तदनन्तर समयमें बारह प्रकृतियाँ प्रवेश करती हैं। * तदनन्तर अन्तर्मुहूर्त बाद पुरुषवेद और छह नोकपाय चेदनीयका अपकर्षण किया । उनमें से पुरुषवेदको उदयमें दिया और छह नोकषायवेदनीयका उदयापलिके
SR No.090222
Book TitleKasaypahudam Part 10
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherMantri Sahitya Vibhag Mathura
Publication Year1967
Total Pages407
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size13 MB
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