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कर्मस्तव सातव गुणस्थान से तेरहवें गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थान में उदययोग्य प्रकृत्तियों की या तीन-तीन प्रकृति धारणायाम काम होती हैं। अतः गुणस्थानों में उदय और तदोरणायोग्य प्रकृतियों की संख्या निम्न प्रकार समझनी चाहिएगुणस्थानक्रम उदयप्रकृति संख्या उदीरणाप्रकृति संख्या ११७
११७
बारहवें गुणस्थान की उदययोग्य ५७ प्रकृतियां हैं, जिनका उदय द्विचरम समय पर्यन्त माना जाता है । इसलिए पूर्वोक्त ५७ प्रकृतियों में से निद्राद्विक को कम करने से ५५ प्रकृतियों का उदय रहता है। इसलिए द्विचरम समय से पूर्व की ५७ प्रकृतियों में से वेदनीयद्विक और मनुष्यायु-इन तीन प्रकृति को कम करने पर उदीरणायोग्य प्रकृतियाँ ५४ और अन्तिम समय की उदययोग्य ५५ प्रकृतियों में से उक्त तीन