Book Title: Karmagrantha Part 2
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 229
________________ १६४ कर्मस्तव : परिशिष्ट उपय अधिनाभायो ल , २ uro 4 का यद् अविनामाषी प्रकृतियों के निमित्त प्रकृतियां १. केवलज्ञान २. मिश्रगुणस्थान ३. क्षयोपशम सम्यक्त्व ४. प्रमत्तसंयत मिथ्यात्व जमान्तर ७. अनन्तानुबन्धीय अप्रत्याख्यानीय प्रत्याख्यानीय प्रमादभाव संक्लेश यथाप्रवृत्ति-अपूर्वकरण तथाविध संक्लिष्ट परिणाम १३. बादरकषाय अयथाख्यात चारित्र अक्षपक भाव छाद्मस्थिकभाव बादरकायवागयोग २६ संसारी जीवन १६. मानव मन सिद्धत्वस्पर्शी पुण्य कुल निमित्त कुल प्रकृतियाँ १३२ कितनी प्रकृतियाँ नहीं होती है . २७ २८ २९ ११७ ५ १११ ११ १०० २२

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