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२०२
१४. अयोगिकेवलो मूल
ओष
१. मिथ्यात्व
२. सास्वादन
३. मिश्र
अबन्धक दृष्
उदय-विवरण
कमंस्तव परिशिष्ट
:
३००
मूल प्रकृति
उत्तरप्रकृति १२२
ज्ञानावरणीय ५, दर्शनावरणीय ६ वेदनीय २, मोहनीय २८, आयु ४, नाम ६७, गोव २, अन्त
राय ५ = १२२
(मिश्रमोहनीय और सम्यक्त्वमोहनीय इन दो प्रकृतियों का बंध नहीं होता किन्तु उदय होता है अतः मोहनीय की २० प्रकृतियाँ गिनी गई हैं ।
मूल
1
उ० ११७
मिश्रमोहनीय, सम्यक्त्वमोहनीय, आहारकह्निक और तीर्थकरनामकर्म का उदय नहीं होने से ५ प्रकृतियाँ न्यून |
मूल ८
उ० १११
सूक्ष्मत्रिक (सूक्ष्म अपर्याप्त साधारण नाम ) आतप नाम, मिथ्यात्व मोहनीय, नरकानुपूर्वी = ६ प्रकृतियों का उदय नहीं होता है ।
मूल ८
उ० १००
अनन्तानुबन्धी चतुष्क, स्थावरनाम, एकेन्द्रियजाति, विकलेन्द्रियत्रिक (द्वीन्द्रिय त्रीन्द्रिय,