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१४ गुणस्थान में सत्ता में
उत्तर प्रकृति
उपशमनणी
झपकोषी
सामावारम
अर्शनावरण
वेवनीय
| अन्तराय
Gm | मूल प्रकृति
. RF | मोहनीय
द्वितीय क्रमप्रद : परिशिष्ट
शE३१८० २
له
له
امر به
१०. सूक्ष्मसंपराय ८१४८।१४२ १४२११३६ १०२ ५। २२८॥२४॥२११ । । २ ५ ११. उपशांतमोह ८१४८५१४२ १४२।१३६ १०१ ५ , २ २८॥२४॥२१ ,, २५ १२. क्षीणमोह १०१६ ० १०१६६ ५.४ . १ ६३ २५ १३ सयोगिकेवली ४ .
५ . २ ० १ ० २ ० १४. अयोगिकेवली ४ ८५।१३।१२ ॥१३।१२ : २१ ० १८०६२।१०
* तद्भय मोक्षगामी अनन्तानुबन्धी विसंयोजक उपशमश्रेणी को करने वाले क्षायोपशामिक
सम्यग्दृष्टि को १४१ की सत्ता मानी जाती है। • तद्भव मोक्ष नहीं जाने वाले उपशमश्रेणी बाले सायिक मम्यादृष्टि की मानी जाती है ।
नौवं गुणस्थान में नौ भागों में मोहनीय के २८-२४-१ अंक सहित समझना चाहिए।