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रश्य २] बलभद्रदेशका राजकुमार। १७ कही । मैं तुरन्त उस सूरतको देखनेके लिये इनके साथ हो लिया । उस स्थानपर पहुँचनेपर देखा तो सचमुच इनके कहे अनुसार आपके पिताके ऐसी एक सूरत पास आती देख पड़ी। इन हाथोंमें भी कुछ फ़र्क होगा, पर उनमें......
जयन्त-पर, यह घटना किस स्थान पर हुई ?
वीर०-महाराज, किलेके आगेवाले मैदानमें, जहाँ हमलोगोंका पहरा था।
नयन्त-क्या तुमने उससे कुछ बातचीत नहीं की ?
विशा०-महाराज, मैंने तो बोलनेकी चेष्टां की थी; पर उसने कुछ उत्तर ही नहीं दिया । हाँ, एक बार उसने सिर ऊँचा किया या;
और ऐसे भाव बनाये मानों वह कुछ बोला चाहती हो ; पर इतनेमें मुर्गा बाँग देने लगा । उसकी आवाज़ सुनते ही, वह इतनी तेज़ चालसे चली कि देखते देखते गायब हो गई।
जयन्त-बड़े आश्चर्यकी बात है !
विशा-महाराज, यह सब सच है । और इसीलिये हमलोग आपकी सेवामें यह घटना निवेदन करने तुरन्त चले आये ।
जयन्त०-महाशयो, निस्सन्देह तुम्हारी बात सच होगी। परन्तु इस बातके सुननेसे मेरे हृदयकी विचित्र दशा हो रही है.। क्या भान भी वहाँ तुम्हारा पहरा है ?
वीर०, भीम-जी हाँ, आज भी है । जयन्त क्या कहा १. वह हथियारबन्द थी ! वीर०, भीम०-हाँ महाराज, हथियारबन्द थी। जयन्त-क्या नख-शिखान्त !
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