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दृश्य ४ ]
बलभद्रदेशका राजकुमार ।
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जीवित रहनेसे मैं अनन्त वेदनाएं भोग रहा हूं; इसलिये कहता हूं कि उसे मार कर इन वेदनाओंसे मुझे बचाओ । जबतक मैं उसके मरनेकी खबर न सुन लूंगा तबतक मेरा मन बेचैन ही बना रहेगा । ( जाता है ।)
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चौथा दृश्य । स्थान- सड़क
युधाजित, एक कप्तान और कुछ सिपाही कवायद करते हुए प्रवेश करते हैं ।
युधा० - कप्तान साहब ! आप बलभद्रके महाराजके पास जाकर पहिले मेरा सलाम कह दीजिये और फिर यह कहिये कि वादेके अनुसार युधाजित आपके राज्यमेंसे अपनी सेना लेजानेकी आशा चाहता है। आप जानते ही हैं पड़ाव कहां डाला जायगा । और महाराजसे यह भी कह दीजिये कि यदि आप उनसे मिलना चाहते हों तो वे खुद भी दरबार में हाजिर हो सकते हैं ।
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कप्तान --- बहुत अच्छा, सरकार ! अभी जाता हूं । युधा० - कुछ सिपाहियों को साथ ले आरामसे जाना
( युधाजित और सिपाही जाते हैं ) ( जयन्त, नय, विनय और कुछ सेवक प्रवेश करते हैं । ) जयन्त—क्यौं महाशय ! यह किसकी सेना है ?
कप्तान - जनाब ! यह शाकद्वीपकी सेना है ।
जयन्त - क्या आप कह सकते हैं कि यह सेना किसलिये भेजी गई है ?
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