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दृश्य ५]
बलभद्रदेशका राजकुमार ।
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होता। क्योंकि शहरके गुंडे इस विषयमें न जाने क्या क्या गप उडावेंगे। रानी - अच्छा, उसे यहाँ ले आओ । ( विशालाक्ष जाता है ) हा ! मेरी कैसी बुरी दशा है ! पापी अन्तःकरणका स्वभाव ही है कि उसे ज़रा जरासी बातोंका भी बहुत डर मालूम होता है । दलदल में फंसे हुए मनुष्यकीसी पापियोंकी दशा होती है । ज्यों ज्यों वह उसमेंसे निकलने की चेष्टा करता है त्यों त्यों वह उसमें और भी फंसता जाता है । ( कमलाको लिये विशालाक्ष प्रवेश करता है )
कमला – बलभद्रकी सुन्दर रानी कहां है ? रानी - कमला ! कैसी तबियत है । कमला -- ( गाती है )
राग सोहनी ।
कैसे मैं जानूँ तोरे प्रेमकी सचाई । तूने सूरत नहिं जोगीकी बनाई || कैसे ० ॥ जटा न तेरे बिखरीं सिर, नहिं अंग भभूत रमाई ।
पग न खड़ाऊं, कर न कमंडलु दंड न देत दिखाई ॥ कैसे० ॥
रानी - हाय ! कमला, इस गाने का मतलब क्या है ?
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कमला—मतलब ! आप मतलब पूछती हैं ? सुनिये । (गाती है)
कुटिल काल सब दियो छुडाई ।
वाके सीस घास जमि आई ॥
कोमल चरनन ऊपर देखो भारी सिला दिन्ही हाय दबाई ॥ -कमला !
रानी
कमला -- हाथ जोड़ती हूँ, सुनिये। (गाती है ) उज्ज्वल बर्फ समान पुष्पमय वाके तन पट दियो ओढ़ाई ।
( राजा प्रवेश करता है । )
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