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दृश्य] बलभद्रदेशका राजकुमार । चाचाजीने आपसे कहनेके लिये मुझे कहा है कि उन्होंने आपकी ओरसे एक आदमीसे एक शर्व लगाई । बप, इतनी ही बात है।
जयन्त-अच्छा, कृषा करके पहिले साफा जो अच्छी तरह बाँध लीजिये।
हारी.-मा कीजिये, महाराज ! मुझे इसी तरह आराम मिलता है । महाराज ! चन्द्रसेन उत्तासे लौट भाया है। वाह ! क्या ही गुणी मनुष्य है ! अच्छे मनुष्यमें जितने गुण आवश्यक हैं वे सब उसमें मौजूद है। नेकचलनी, मिलनसारी, उदारता आदि सारे गुण एक साथ मुझे, तो उसीमें दिखलाई पड़ते हैं। सचमुच, महाराज, अगर उसके गुणों की योग्य प्रशंसा की जाय तो यही कहना पढ़ेगा कि वह संसारके सारे सद्गुणोंका भाण्डार है। क्योंकि आप नो गुण चाहें वही उसमें पा सकते हैं।
जयन्त---महाशय ! आपने उसके इतने गुण कह डाले कि, मैं सोचता हूँ, अगर उनका हिसाब लगाने किसी गणितज्ञसे कहा बाय तो उसका भी दिमाग एक बार चक्करमें पड़ जायगा; और इतनपर भी आप उसके गुणोंकी ठीक २ प्रशंसा नहीं कर सके। उसके गुणोंकी अगर योग्य प्रशंसा की जाय तो यही कहना पड़ेगा कि वह बड़ा गुणी मनुष्य है; उसमें बहुतसे सगुण हैं ; ऐसे असाधारण और दुर्लभ गुणोंकी मार्त या तो वही है या आइनेमें वैसी मात हम देख सकते हैं-तीसरी नगह हम नहीं देख सकते । उसकी सायाके सिवा और किसकी सामर्थ्य है जो डूबहू वैसी मूर्ति बना दे।
हारीव-महाराजने उसका बहुत ॥ योग्य वर्णन किया ।
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