Book Title: Jayant Balbhadra Desh ka Rajkumar
Author(s): Ganpati Krushna Gurjar
Publisher: Granth Prakashak Samiti

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Page 192
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दुवा] बलभद्रदेशका राजकुमार। प्रणाम । देव दूतो ! मेरे मित्रको बिना कष्ट दिये स्वर्गमें पहुँचा दो ! ऐं । यहाँ नकारेकी आवाज़ कैसी ? (भीतर सिपाहियोंके चलनेकी आवाज़ सुनाई पड़ती है) युधाजित, श्वेतद्वीपके वकील और कुछ लोग प्रवेश करते हैं। युधाजित-यह कैसा दृश्य है ? विशा०--देखते क्या हैं ? इस विषयकी खोज आप जितनी ही करेंगे उतना ही आपको आश्चर्य और दुःख होगा। .. युधा०-हाय हाय ! कैसा अनर्थ ! री दुष्ट मृत्यु ! तू यह कैसी दावत कर रही है कि एक ही हाथमें राजकुलके इतने मनुष्योंको मार गिराया ? .प. वकील-बड़ा भयङ्कर दृश्य है ! वेतद्वीपसे आनेमें हमें बहुत देर हो गई । राजाशानुसार नय और विनय मार डाले गये ; यह वार्ता निमको सुनाने हम लोग आये थे वे तो मुर्दा होकर पड़े हैं। अब हमारी वार्ता सुनकर हमें कौन धन्यवाद देगा ? विशा.-अगर वे जिन्दा भी होते तो भी उनके मुँहसे आप लोग धन्यवाद न पाते । उन्होंने उनके मारनेकी आशा नहीं दी थी । पर जब इस भयानक अवसरपर आप पोलोमकी लड़ाई से--और आप तद्वीपसे, यहाँ आ पहुँचे हैं तब आप ही आज्ञा दीजिये कि किसी उँचो जगहपर ये लाशें रक्खी जाय, जिसमें सब लोग देख सकें और मैं भी इस विचित्र घटनाका सारा भेद उनके सामने खोल सकूँ । इस तरह आप लोग भी सुन लेंगे कि कैसे कैसे भयङ्कर और अस्वाभाविक काम किये गये, किसका कैसा समझका फेर था, गलतीसे और एकाएक किसने किसका खून किया, किसका खून करने के लिये किसने कैसी २ For Private And Personal Use Only

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