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जयन्त
[अंक ४ रानी-हाय ! प्राणनाथ ! देखिये, इसकी क्या दशा हो गई ! कमला-( गाती है) स्नान कराई प्रेम-आँसुनसों धरती बिच दियो वाहि सोवाई ॥ रा.-कमला, कैसी तबियत है ?
कमला--अच्छी है । परमेश्वर करे आपका भला हो ! कहते हैं, अहिल्या शिला हो गई थी। महाराज ! हम लोग यह तो जानते हैं कि हम क्या हैं, पर क्या होंगे वह नहीं जानते । ईश्वर आपको सुखी रक्खे ।
रा०-( स्वगत ) इसके दिलमें पिताका ख्याल बना है।
कमला-महाराज ! जाने दीजिये, इस बातको ही छोड़ दीजिये । अगर कोई पूछे कि इसका मतलब क्या है तो यह कहिये:-(गाती है।)
ठुमरी खम्माच । मैं आऊँगी मैं आऊँगी पिया तोरे पास ।
काहेको होत उदास ॥ पिया मिलनको काल्ह सुखद दिनबनू कुमारी ब्याहनके दिनहोन प्रेमिका व्याकुल है मन
प्यारे करो बिश्वास ॥ रा०-इसकी यह दशा कबसे हुई ?
कमला-अब सब कुछ ठीक हो जायगा। धीरज रखना चाहिये। उस बेचारेको ठण्ठी जमीनमें सुला दिया; यह सोच मुझे सिवा रोनेके और कुछ नहीं सूझता । सारी बात मेरे भाईके कानोंतक पहुँज जायगी ; और इस लिये आपके अच्छे उपदेशके लिये मैं धन्यवाद देती हूँ । आरे घोड़े आ । जाती हूँ , रानी साहब, नमस्ते, जाती हूँ, नमस्ते, नमस्ते ।
( जाती है ।)
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