SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 145
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जयन्त [अंक ४ रानी-हाय ! प्राणनाथ ! देखिये, इसकी क्या दशा हो गई ! कमला-( गाती है) स्नान कराई प्रेम-आँसुनसों धरती बिच दियो वाहि सोवाई ॥ रा.-कमला, कैसी तबियत है ? कमला--अच्छी है । परमेश्वर करे आपका भला हो ! कहते हैं, अहिल्या शिला हो गई थी। महाराज ! हम लोग यह तो जानते हैं कि हम क्या हैं, पर क्या होंगे वह नहीं जानते । ईश्वर आपको सुखी रक्खे । रा०-( स्वगत ) इसके दिलमें पिताका ख्याल बना है। कमला-महाराज ! जाने दीजिये, इस बातको ही छोड़ दीजिये । अगर कोई पूछे कि इसका मतलब क्या है तो यह कहिये:-(गाती है।) ठुमरी खम्माच । मैं आऊँगी मैं आऊँगी पिया तोरे पास । काहेको होत उदास ॥ पिया मिलनको काल्ह सुखद दिनबनू कुमारी ब्याहनके दिनहोन प्रेमिका व्याकुल है मन प्यारे करो बिश्वास ॥ रा०-इसकी यह दशा कबसे हुई ? कमला-अब सब कुछ ठीक हो जायगा। धीरज रखना चाहिये। उस बेचारेको ठण्ठी जमीनमें सुला दिया; यह सोच मुझे सिवा रोनेके और कुछ नहीं सूझता । सारी बात मेरे भाईके कानोंतक पहुँज जायगी ; और इस लिये आपके अच्छे उपदेशके लिये मैं धन्यवाद देती हूँ । आरे घोड़े आ । जाती हूँ , रानी साहब, नमस्ते, जाती हूँ, नमस्ते, नमस्ते । ( जाती है ।) For Private And Personal Use Only
SR No.020403
Book TitleJayant Balbhadra Desh ka Rajkumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanpati Krushna Gurjar
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1912
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy