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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दृश्य ५] बलभद्रदेशका राजकुमार । १२५ होता। क्योंकि शहरके गुंडे इस विषयमें न जाने क्या क्या गप उडावेंगे। रानी - अच्छा, उसे यहाँ ले आओ । ( विशालाक्ष जाता है ) हा ! मेरी कैसी बुरी दशा है ! पापी अन्तःकरणका स्वभाव ही है कि उसे ज़रा जरासी बातोंका भी बहुत डर मालूम होता है । दलदल में फंसे हुए मनुष्यकीसी पापियोंकी दशा होती है । ज्यों ज्यों वह उसमेंसे निकलने की चेष्टा करता है त्यों त्यों वह उसमें और भी फंसता जाता है । ( कमलाको लिये विशालाक्ष प्रवेश करता है ) कमला – बलभद्रकी सुन्दर रानी कहां है ? रानी - कमला ! कैसी तबियत है । कमला -- ( गाती है ) राग सोहनी । कैसे मैं जानूँ तोरे प्रेमकी सचाई । तूने सूरत नहिं जोगीकी बनाई || कैसे ० ॥ जटा न तेरे बिखरीं सिर, नहिं अंग भभूत रमाई । पग न खड़ाऊं, कर न कमंडलु दंड न देत दिखाई ॥ कैसे० ॥ रानी - हाय ! कमला, इस गाने का मतलब क्या है ? --- कमला—मतलब ! आप मतलब पूछती हैं ? सुनिये । (गाती है) कुटिल काल सब दियो छुडाई । वाके सीस घास जमि आई ॥ कोमल चरनन ऊपर देखो भारी सिला दिन्ही हाय दबाई ॥ -कमला ! रानी कमला -- हाथ जोड़ती हूँ, सुनिये। (गाती है ) उज्ज्वल बर्फ समान पुष्पमय वाके तन पट दियो ओढ़ाई । ( राजा प्रवेश करता है । ) For Private And Personal Use Only
SR No.020403
Book TitleJayant Balbhadra Desh ka Rajkumar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGanpati Krushna Gurjar
PublisherGranth Prakashak Samiti
Publication Year1912
Total Pages195
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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