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बलभद्रदेशका राजकुमार ।
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टिटी हजारों आदमियोंको खपाकर फिर भी ज्योंकी त्यों बनी रहती है
I
प० म० - वाह ! सचमुच तुम्हारी बुद्धि क्या कमाल है ! वह टिरूटी बहुत अच्छी होती है; पर किसके लिये अच्छी होती है ? जो बुरा करते हैं उनके लिये वह अच्छी होती है । तुम कहते हो कि वह टिरूटी मन्दिरोंसे भी अधिक टिकाऊ होती है, यह बुरा करते हो; इस किये वह टिल्टी तुम्हारे लिये अच्छी होगी । अच्छा, फिर सोचो ।
दू० म० - अच्छा, 'पेसराज, लोहार, और बढ़ई इन तीनोंसे अधिक मजबूत काम कौन बनाता है ?
प० म० - हाँ कह डालो; किसका काम अधिक टिकाऊ होता है ? दू० म०–अच्छा, अब मैं कह सकता हूँ ।
प० म० - कहो, कहो ।
० म० - हः हः, नहीं कह सकता ।
( जयन्त और विशालाक्ष कुछ दूरीपर प्रवेश करते हैं । )
प० म०—– अब, इसमें फ़जूल माथापच्ची मत करो; क्योंकि तुम्हारे ऐसे गदहे लाख मार खानेपर भी जल्दी जल्दी पैर नहीं बढ़ा सकते 1 अच्छा, अब अगर फिर कोई तुमसे ऐसा सवाल करे तो कह देना 'कम खोदने वाले ' या ' समाधि बनाने वाले ', समझे ? जो घर वे बनाते हैं वह प्रलय कालतक बना रहता है । अच्छा, दोस्त, Featयामें बाकर एक बोतल शराब तो ले आओ । ( दूसरा मज़दूर जाता है। ) ( पहिला मजदूर खोदता हुआ गाता है । )
हा ! जब युवा था प्रेमिकासे प्रेम करता था तभी । सप्रेम में होकर मगन मैं भूल जाता था सभी ॥
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