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जयस्त
[ अंक ३
मस्ते समय उनपर पापफेंका बोझ बना ही रहा होगा ! फिर क्या
अभी - इसीसमय, जब कि वह अपने लिये स्वर्ग जानेका रास्ता साफ़ कर रहा है----उसका खून कर डालूं ? इससे मेरे प्यारे पिता के खूनका बदला - चुक जायगा ? नहीं, नहीं; इससे बदला नहीं चुकेगा । जल्दी करनेसे सारा काम बिगड़ जायगा । रे खड्ग ! खबरदार, म्यानके अन्दर हो जा ! रे आतुर हाथ ! चल हट पीछे और इससे भी अच्छा मौका खोज ! जब वह शराब पीकर सोया हो या उसके नशे में चूर हो, या पशुके सम्मान अपने भाईकी स्त्रीसे व्यभिचार करने में मगन हो; जुवा खेलता हो, झूठी सौगन्द खाता हो या ऐसा ही कोई और बुरा काम करता हो जिससे वह मुक्ति न पा सके उस समय तू ऐसा प्रताप दिखा कि वह सीधे नरकके सिवा और कहीं न जा सके। हं, ( ज़रा सोचकर ) मा मेरी राह देखती होगी । इन प्रार्थनाभते अपने विपद्मस्त जीवन के दिन यह और भी बढ़ा रहा है। ( जाता है । )
रा०- ( उठकर ) मेरे शब्द तो ऊपर जा नीचे ही बने हुए हैं। क्या विचार रहित शब्द सकते हैं ? नहीं, कभी नहीं ।
रहे हैं; पर विचार भी स्वर्गतक पहुंच
( जाता है । )
चौथा दृश्य ।
स्थान - रानीका महल |
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रानी और धूर्जटि प्रवेश करते हैं।
धू • • वह सीधा यहीं आवेगा । देखिये, उससे खूब सावधानी से
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