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दृश्य ५]
बलभद्रदेशका राजकुमार
२९
( हाथ छुड़ा लेता है । ) अगर अब मुझे कोई रोकेगा तो याद रक्खो, यही तलवार उसका काम तमाम करेगी । बस, अब सीधी राहते तुम लोग यहाँ से चल दो । चल रे पिशाच, आगे आगे चल, मैं तेरे पीछे पीछे आता हूँ । (भूत और नयन्त जाते हैं। ) विशा० - इसका दिमाग बिगड़ गया है । वीर. - ऐसे अवसरपर इनकी आज्ञा पालन करनेकी कोई आवश्यकता नहीं है । चलो चलो, हम भी उनके पीछे हो लें ।
विशा० - चलो चलें । न जाने इसका क्या परिणाम होगा । बीर०—- इस बलभद्र देशमें कोई खराबी अवश्य हुई है । विशा०—- परमात्मा सबका पार लगाने वाला है ।
बीर० -- चलो चलें, यह ठहरनेका अवसर नहीं है । ( जाते हैं । )
पाँचवाँ दृश्य ।
स्थान —— मैदानका दूसरा हिस्सा
-:0:
भूत और जयन्त प्रवेश करते हैं ।
जयन्त - तू मुझे कहाँ ले जायगा ? बोल, अब मैं आगे नहीं
बहूँगा ।
भूत--अच्छा, सुन |
जयन्त - हाँ, सुनता हूँ ।
भूत- - समय बहुत कम है । थोड़ी ही देर में मुझे दहकती हुई.
गन्धककी भयानक ज्वाला में जाकर बैठना होगा |
जयन्त - हाय ! हाय ! कैसी भयङ्कर दशा !
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