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जयन्त
[ अंक ३
सुन्दरताने अगर मेरे जयन्तको पागल बना दिया हो तो कोई चिन्ता नहीं — अच्छी बात है । मैं आशा करती हूं कि तुम अपने भरसक उसे रास्तेपर लानेमें कसर न करोगी; क्योंकि इसमें तुम्हारी और उसकी दोनोंकी इज्ज़त है ।
कमला - रानी साहब । मैं अपनी ओरसे कोई बात बाकी न छोडूंगी ।
( रानी जाती है | )
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धू ० - कमला ! तुम यहीं घूमती रहना । महाराज ! चलिये, हम लोग भी कहीं छिप जायँ । कमला ! तुम इस पुस्तकको पढ़ती रहना, जिसमें देखनेवाला समझे कि तुम यहाँ अकेली ही हो | हम लोग जो चाल चलते हैं वह अच्छी नहीं - बुरी है; पर अनुभवसे यह बात सिद्ध हो चुकी है कि साधु और पुण्यात्माका स्वांग लेनेसे साक्षात् भूत पिशाच जैसे नीचसे नीच और धूर्तसे धूर्त लोग भी अपने बसमें हो
जाते हैं।
सच
रा०- (स्वगत ) सच है, भाई ! तुम्हारा कहना अक्षर अक्षर है । इसके इस वाक्यके एक एक अक्षरने मेरे कलेजे में सौ सौ ती का काम किया है ! रे दुष्ट, पापी, नीचात्मा । तुझे अपनी बातोंमें और कामों में कुछ तो मेल रखना था ! खानगियोंके गालोंके काले, काले दाग छिपाने के लिये उनपर रङ्गबिरंगी पाउडरोंका लगा हुआ पलस्तर अच्छा; पर तेरे घोर दुष्कर्मों के छिपानेके लिये उनपर रंगबिरंगी बातोंका लगा हुआ पलस्तर बहुत ही घृणित और नीचताका है ! आहं ! मेरे पापोंका बोझ अब मुझसे नहीं सहा जाता ।
धू० - महाराज ! सुनिये; जान पड़ता है, वह आ गया । तो
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