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दृश्य २ ]
बलभद्रदेशका राजकुमार ।
८७
कमला – महाराज, क्या यह नट बता देगा कि पिछले दृश्य में क्या हुआ था ?
जयन्त – हाँ हाँ, बता देगा । जो पूछोगी सो वह बता देगा ; जो कहोगी सो दिखला देगा; और जो दिखलाओगी सो कह देगा । दिखाने में लजा न करना; फिर देखो, वह उसका कैसा साफ़ साफ़ मतलब कहेगा ।
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कमला -- महाराज ! आप यह क्या बड़बड़ाने लग गये ? आपकी बातों से तो कुछ मतलब ही नहीं निकलता । अच्छा, जाने दीजिये, मुझे क्या करना है ? जाइये, अब मैं आपसे न बोलूँगी - खेल
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देखूँगी ।
सूत्रधार - नाटक मण्डलीकी ओरसे मैं हाथ जोड़कर आप लोगों से प्रार्थना करता हूँ कि आप लोग कृपा करके हमारे इस शोकान्त नाटकको ध्यानपूर्वक देखें और सुनें ।
जयन्त——यह प्रस्तावना है या प्रस्तावनाकी भूमिका है !
कमला - महाराज ! यह प्रस्तावना बहुत थोड़ी थी, बहुत जल्द खतम हो गई !
जयन्त-स्त्रियों के प्रेमके बराबर थी; और वैसी ही जल्द ख़तम भी हो गई ।
( नाटकके राजा और रानी प्रवेश करते हैं । ) ना० रा० - पवित्र विवाह मण्डप में पुरोहितके द्वारा हम दोनोंके परस्पर हाथ मिले आज पूरे तीस वर्ष हुए । इस बीच भगवान सूर्यनारायणने भगवती वसुन्धरा देवीको तीस प्रदक्षिणाएँ कीं; और सुशीतल चन्द्रमाने अपने समस्त शुभ्र किरणोंसे इस पृथ्वीको तीनसी
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