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दृश्य ३] बलभद्रदेशका राजकुमार । तुम्हारी राह देख रहे हैं।
चन्द्र०-बहिन, अब बिदा होता हूँ | मेरी बातोंको भूल न जाना । कमला-मैं तो नहीं भूलूंगी, पर तुम ही सँभले रहना । चन्द्र०-अच्छा, जाता हूँ। (जाता है।) धूर्ज-कमले, तुमसे उसने कौन सी बात कही है ? कमला-कुछ नहीं,-जयन्तके विषयमें कुछ बातें कही हैं ।
धूर्ज०-हाँ, अच्छी याद दिलाई । सुना है कि आज कल वह नित्य तुम्हारे पास आया जाया करता है ; और तुम भी उससे मिलनेमें 'ना' नहीं करती । यदि यह सच है तो मैं तुमसे कह देता हूँ कि तुम मेरी लड़की हो कर नहीं समझतीं कि तुम्हें कैसा व्यवहार करना चाहिये। तुम दोनों आपसमें कौनसी बातें किया करते हो ; सच सच कह दो। ___ कमला-बाबूजी, मुझपर उसका प्रेम है; और आजकल वह मुझसे विवाहके विषयमें बातें किया करता है।
धूर्ज०-क्या प्रेम ? और विवाह ! छी: ! अभी तुम विल्कुल नादान हो; इन सब बातोंका तुम्हें अनुभव नहीं । क्या तुम उसकी बातोंपर विश्वास करती हो ? .
कमला-तब और क्या रुं ?
धूर्जo-मैं बताता हूँ, क्या करो । याद रखो, अभी तुम लड़की हो । उसकी बातोंको तुमो सच मान लिया है; पर वे सच नहीं हैं। अबसे उसके साथ मिलना जुलना कम कर दो, नहीं तो किसी दिन मेरी फजीहत कराओगी।
कमला-उसने बार बार कहकर मुझे अपने निर्मल प्रेमका विश्वास दिलाया है।
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