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दिगम्बर परम्परा की श्रमणियाँ 4.9.6 आर्यिका श्री इन्दुमतीजी (संवत् 2006)
ऋषियों व वीरों की भूमि राजस्थान प्रान्त के नागौर जिले में डेह ग्राम निवासी श्री चरणमलजी पाटनी के यहां संवत् 1984 में मोहिनीबाई का जन्म हुआ, 12 वर्ष की अल्पायु में विवाह और 6 मास बाद वैधव्य ने इनकी जीवन दिशा को एक नया मोड़ दिया। वि. संवत् 2000 में आचार्य चन्द्रसागरजी से क्षुल्लिका दीक्षा एवं पश्चात् संवत् 2006 में आचार्य वीरसागरजी से आर्यिका दीक्षा ग्रहण की।
आर्यिका संघ का संचालन करते हुए आपने अनेकानेक तीर्थों व नगरों में परिभ्रमण किया। आपके सदुपदेश से प्रेरित होकर कई दिगम्बर मुनि, आर्यिका, क्षुल्लिका एवं ब्रह्मचारी तैयार हुए। आपका जीवन अभूतपूर्व तप, त्याग एवं साधना से मंडित है। आप इतनी निस्पृह हैं कि सन् 1982 में तीर्थराज सम्मेदशिखर जी पर आपके सम्मान में अभिनंदन ग्रंथ भेंट किया गया, किंतु आपने उसे स्वीकार नहीं किया।।59
4.9.7 आर्यिका श्री विद्यावतीजी (संवत् 2008)
आपका जन्म सिकन्दरपुर (उ. प्र.) में श्रेष्ठी श्री फूलचन्दजी अग्रवाल के यहां हुआ, लौकिक शिक्षा के साथ आप व्याकरण, न्याय, सिद्धान्त की अधिकारिणी साध्वी थीं। शास्त्री परीक्षा भी पास की। क्रमशः सातवीं प्रतिमा तथा दही गांव में क्षुल्लिका दीक्षा (संवत् 1998) लेकर दहीगांव में ही आचार्य श्री शांतिसागर जी से संवत् 2008 में आर्यिका दीक्षा ली। आपने 40 चातुर्मास यत्र-तत्र कर धर्म की प्रभावना की, साथ ही सोलह कारण, कर्मदहन, दशलक्षण आदि विविध तप भी किया।160
4.9.8 आर्यिका श्री कनकमतीजी (संवत् 2009)
आपका जन्म बड़गांव (म. प्र.) हजारीमल जी वैद्य के यहां हुआ 12 वर्ष की वय में झांसी जिले के 'कारीटोरन' में श्री दयाचन्दजी सिंघई से विवाह और 16 वर्ष में वैधव्य को प्राप्त हुईं। आपने अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में परिवर्तित करने का संकल्प लेकर महिलाश्रम सिवनी, उदासीन महिला आश्रम इन्दौर तथा सागर में रहकर विशारद तक अध्ययन किया, पश्चात् सागर, दुर्ग तथा डालटेनगंज में अध्यापिका रहीं, आचार्य शिवसागर जी से महावीर जी में वैशाख शुक्ला 11 संवत् 2009 में आर्यिका दीक्षा ग्रहण की। आप कई रसों का आजीवन त्याग कर अस्वाद वृत्ति का आदर्श रखती हुई विचरण कर रही है। 4.9.9 गणिनी श्री ज्ञानमतीजी (संवत् 2013)
न्याय प्रभाकर सिद्धान्त वाचस्पति की उपाधि से विभूषित आर्यिका रत्न ज्ञानमती जी दिगम्बर जैन समाज में एक तत्त्व चिंतिका एवं सुख्यात लेखिका विदुषी साध्वी हैं। आपका जन्म टिकैतनगर (जि. वाराबांकी, उ. प्र.) में वि. संवत् 1991 में हुआ। 17 वर्ष की आयु मे ही देशभूषण जी महाराज से क्षुल्लिका दीक्षा ग्रहण की, पश्चात् संवत् 2013
159. आ. रत्नमती अभिनंदन ग्रंथ, पृ. 404 160. दिगम्बर जैन साधु, पृ. 96 161. दि. जै. सा., पृ. 196
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