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श्वेताम्बर परम्परा की श्रमणियाँ संवत् 1334 मार्गशीर्ष शुक्ला 13 को श्री जिनप्रबोधसूरि ने आपको 'प्रवर्तिनी' पद से अलंकृत किया। था। संवत् 1366 में जब श्री जिनचन्द्रसूरि संघ सहित भीमपल्ली से पत्तन, खम्भात और महातीर्थों की यात्रा के लिये निकले तब प्रवर्तिनी रत्नवृष्टि भी 15 ठाणों से उस यात्रा में साथ थी।
5.1.44 गणिनी बुद्धिसमृद्धि (संवत् 1315)
आपने जिनेश्वरसूरिजी से पालनपुर में संवत् 1315-16 आसाढ़ शुक्ला 10 को दीक्षा अंगीकार की। संवत् 1342 वैशाख शुक्ला 10 के दिन जाबालिपुर में आपको 'प्रवर्तिनी' पद पर विभूषित किया। चैत्र शुक्ला 13 को भीमपल्ली से शंखेश्वर की यात्रा में आप 15 साध्वियों के साथ तीर्थयात्रा में सम्मिलित हुई थी।
5.1.45 श्री सौम्यमूर्ति, न्यायलक्ष्मी (संवत् 1317) ___संवत् 1317 वैशाख शुक्ला 12 को श्री जिनेश्वरसूरि ने इनको दीक्षा दी। दीक्षा स्थान का उल्लेख नहीं है। 5.1.46 श्री विजयसिद्धि (संवत् 1319)
संवत् 1319 माघ कृष्णा 5 के शुभ दिन इनकी दीक्षा श्री जिनेश्वरसूरि द्वारा हुई थी। 5.1.47 श्री चित्तसमाधि, क्षान्तिनिधि (संवत् 1321)
संवत् 1321 फाल्गुन शुक्ला 2 गुरूवार के दिन श्री जिनेश्वरसूरि द्वारा प्रह्लादपुर में इनकी दीक्षा हुई। 5.1.48 प्रवर्तिनी प्रियदर्शना (संवत् 1322) ___आपने संवत् 1322 माघ शुक्ला 14 को विक्रमपुर में श्री जिनेश्वरसूरिजी द्वारा जिनदीक्षा अंगीकार की थी। आपके साथ 'मुक्तिवल्लभा', 'नेमिभक्ति', 'मंगलनिधि' व 'वीरसुन्दरी' ने भी दीक्षा अंगीकार की थी। संवत् 1368 में जिनचन्द्रसूरि ने भीमपल्ली में आपको ‘महत्तरा' पद पर अलंकृत किया था।” बृहद्गुर्वावली के अनुसार उन्हें प्रवर्तिनी पद दिया गया था। श्री जिनकुशलसूरि के पाटण में मनाये गये पाट-महोत्सव पर श्री 'जयर्द्धि महत्तरा' 'प्रवर्तिनी बुद्धिसमृद्धि' एवं 'प्रवर्तिनी प्रियदर्शना गणिनी आदि 23 साध्वियों के सम्मिलित होने का उल्लेख गुर्वावली में है।
52. (क) ख. बृ. गु., पृ. 51, 62, (ख) ख. इति., पृ. 133 53. (क) ख. बृ. गु., पृ. 59, 63, (ख) ख. इति., पृ. 128, 135 54. ख. बृ. गु., पृ. 49 55. ख. बृ. गु., पृ. 49 56. ख. बृ. गु., पृ. 50 57. ख. दी. नं. सू., पृ. 17 58. ख. बृ. गु., पृ. 64 59. ख. बृ. गु., पृ. 69
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