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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास श्री लीलाबाई के पास आर्हती दीक्षा अंगीकार की। आप उनकी संसारी भतीजी भी हैं। संयम अथवा संघ-भक्ति में शिथिल साध्वियों के मन को सुदृढ़ करने में आपका विशेष योगदान है। आपने बेला, पोला अट्ठम आदि विविध वर्षीतप किये हैं।
6.5.2.24 श्री चंद्रिकाबाई (सं. 2023 से वर्तमान)
आप श्री जागृतिबाई की चुल्लक बहन एवं श्री लीलावतीबाई की संसारी भतीजी हैं, आपके पिता श्री नवनीतभाई वीरचंद एवं माता लीलावतीबेन वांकानेर निवासी हैं, आपने भी वैशाख कृ. 11 को दीक्षा ग्रहण की। साध्वियों की वैयावृत्य आप बड़ी निष्ठा से एवं विवेक से करती हैं, सेवाभावना व सहनशीलता इन दो गुणों से आप शासन में सौरभ फैला रही हैं।
6.5.2.25 श्री रंजनबाई (सं. 2026 से वर्तमान)
आप श्री चन्द्रिकाबाई की लघु भगिनी हैं। मृगशिर कृ. 10 के दिन मुंबई (माटुंगा) में आपने दीक्षा ग्रहण की, उस समय सात बहनों की एक साथ दीक्षा हुई थी, उनमें आप अग्रणी थीं। आप अल्पभाषी सेवाभाविनी एवं तपस्विनी हैं। अठाई, 16, मासखमण, सिद्धितप, बेले-बेले वरसीतप भी किया है। 6.5.2.26 श्री नलिनीबाई (सं. 2026 से वर्तमान)
आप वांकानेर के श्री दामजीभई उकाभाई की पुत्री हैं, व हीराबाई की बहन हैं। श्री रंजनबाई के साथ आपकी दीक्षा हुई। आपकी स्मरणशक्ति बहुत अच्छी है, कम बोलना और अधिक आचरण करना इनकी विशेषता है। अठाई, सोलह, मासखमण, सिद्धितप, बेले-बेले वर्षीतप आदि अनेक तपस्याएँ की हैं।
6.5.2.27 श्री प्रतिभाबाई (सं. 2026 से वर्तमान)
आप मोरबी के श्री प्राणलाल चुनीलालजी की सुपुत्री थीं मांटुगा में सात दीक्षाओं में आपकी भी दीक्षा हुई। आपने मात्र तीन वर्ष में 19 शास्त्र अर्थ सहित कंठस्थ किये थे, किंतु 24 वर्ष की लघुवय में ही आप कालधर्म को प्राप्त हो गईं।
6.5.2.28 श्री हसुमतीबाई (सं. 2026 से वर्तमान)
आप ध्रांगध्रा निवासी श्री कान्तिलाल संघजीभाई की कन्या हैं, माटुंगा में ही आपकी दीक्षा हुई। आप बचपन से ही प्रतिभसंपन्न व विदुषी साध्वी हैं। रसनेन्द्रिय की विजेता हैं। 16, मासखमण आदि उग्र तपस्या भी आपने की हैं।
6.5.2.29 श्री जयश्रीबाई (सं. 2026 से वर्तमान)
आप 'भोबाला' निवासी अमृतलाल जेचंदभाई की कन्या हैं। माटुंगा में आपकी दीक्षा हुई। आपने अपने जीवन में 'सबसे हिल-मिल चालिये, नदी नाव संयोग' की उक्ति को आत्मसात् किया था, आप व्याख्यान प्रभावक भी
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