Book Title: Jain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Author(s): Vijay Sadhvi Arya
Publisher: Bharatiya Vidya Pratishthan
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तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ
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क्रम सं दीक्षा क्रम| साध्वी-नाम | जन्मसंवत् स्थान, पिता-नाम गोत्र | दीक्षा संवत् तिथि | दीक्षा स्थान | विशेष-विवरण श्री संयमप्रभाजी | 2004 हांसी किशोरीलाल सिंगल 2027 चै. कृ.5 | लाडनूं कंठस्थ 3 सूत्र, स्तोकादि, उपवास तप
संख्या 1315, आयंबिल 41,51 कुल
संख्या 168 श्री कंचनरेखाजी| 2005 बाव भोगीभाई मेहता | 2027 चै. कृ. 5 लाडनूं ज्ञान-अधिकांश आगम, तप-1 से 8
लड़ीबद्ध उपवास श्री चन्द्रलेखाजी 2005 लाडनूं मांगीलाल कुचेरिया 2027 चै. कृ.5 लाडनूं संस्था की चार परीक्षा, तप-1 से 11
उपवास लड़ीबद्ध, कुल संख्या 1087 श्री विज्ञानश्रीजी | 2007 सुजानगढ़
| कुमख्यालाल कोठारी 2027 चै. कृ.5 लाडनूं यथाशक्य साधना आराधना 10 श्री कल्पनाश्रीजी 2007 मोमासर | बालचंदजी पटावरी | 2028 का कृ. 10 लाडनूं कंठस्थ 3 सूत्र, 40 स्तोक,सैकड़ों घटना
प्रसंग,तप-1 से 11 उपवास की लड़ी श्री दर्शनाश्रीजी | 2007लूणकरणसर | माणकचंदजी बोथरा 2028 मा. शु. 15 गंगाशहर संवत् 2037 में गण से पृथक श्री राकेश | 2009 बायतू राणुलालजी बुरड़ | 2028 मा. शु. 15 गंगाशहर | यथोचित ज्ञान,कलादक्ष,दसवर्षों से प्रतिवर्ष कुमारीजी
लगभग 170 उपवास,संवत्2053 से अग्रणी श्री सुषमाश्रीजी | 2011 गंगाशहर | केशरीचंदजी गोलछा | 2028 मा. शु. 15 गंगाशहर ज्ञान-अनेक स्तोक, लगभग 10 हजार
गाथाएं कंठस्थ की, तप संख्या 374 oश्री महिमाश्रीजी 2011 धूलिया लक्ष्मणजी चौधरी | 2028 मा. शु. 15 गंगाशहर | संवत् 2040 में गण से पृथक् श्री वीणाकुमारीजी | 2007 सरदारशहर सोहनलालजी बोथरा | 2029 चै. शु. 13 सरदारशहर अध्ययन तीन वर्ष की परीक्षा, आगम वाचन श्री मृदुलाकुमारीजी | 2009 गादाणा | बस्तीमलजी मूंथा | 2029 चै. शु. 13 सरदार शहर | यथोचित ज्ञानार्जन, कार्य कुशल, संवत्सरी
का उपवास श्री सुषमाकुमारीजी | 2010 सरदारशहर चंदनमलजी नोलखा | 2029 चै. शु. 13 सरदार शहर
संघीय तीन वर्ष की परीक्षा, कार्य कुशल,
उपवास सैकड़ों श्री लछिमाश्रीजी 2005 सरदारशहर दुलीचंदजी बैद | 2029 मा. कृ. 10 सरदार शहर | सैकड़ों उपवास श्री गरिमाश्रीजी | 2005 लाडनूं
| 2029 मा. कृ. 10 सरदार शहर यथोचित ज्ञानाभ्यास, 1 से 8 लड़ीबद्ध तप,
कुल संख्या 369 श्री तितिक्षाश्रीजी | 2010 मद्रास किसनलालजी बैद | 2029 मा. कृ. 10
यथाशक्य अध्ययन, कंठकला मधुर, तप उपवास कुल 1009
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