Book Title: Jain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Author(s): Vijay Sadhvi Arya
Publisher: Bharatiya Vidya Pratishthan

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Page 1044
________________ क्रम सं दीक्षा क्रम साध्वी-नाम जन्मसंवत् स्थान | पिता-नाम गोत्र दीक्षा संवत् तिथि | दीक्षा स्थान | विशेष-विवरण Jain Education International 1480. 1585 1585 loश्री वैराग्यश्रीजी | 1990 टमकोर |मन्नालालजी कोठारी| 2046 मा. शु.5 | लाडनूं 481. 1586 श्री निर्भयप्रभाजी 2019 बाव जयन्तीभाई मेहता | 2046 मा. शु.5 | लाडनूं श्री जयंतमालाजी 2021 बालोतरा |चंपालालजी बडेरा लाडनूं 483. 1589 | श्री आदर्शप्रभाजी | 2021 बालोतरा ऋषभचंदजी बडेरा | 2046 मा. शु. 5 लाडनूं 484. 592 श्री श्वेतप्रभाजी | 2022 टमकोर बच्छराजजी चोरडिया 2046 मा. शु.5 | लाडनू 485. 593 594 श्री शशिप्रभाजी | 2023 लाडनूं श्री गुरुयशाजी | 2018 लाडनूं | कमलसिंहजी दूगड़ | 2046 मा. शु. 5 लाडनूं हिम्मतमलजी कोठारी 2047 का. कृ.8 | पाली 486. 982 For Private & Personal Use Only यथोचित ज्ञानाभ्यास, तप-5 वर्षीतप, 1 से 9 तक तप संवत् 2041 में समणी दीक्षा ली थी,जीवन विज्ञान में एम. ए., तप 1 से 11 तक लड़ीबद्ध,तप संख्या 551 यथासंभव ज्ञानार्जन, तप कुछ उपवास,6 दो, 8 दो, 9 का तप एक बार यथोचित ज्ञानार्जन, उपवास 905, दस प्रत्याख्यान 4 बार यथोचित ज्ञानाभ्यास, सैकड़ों उपवास, तेला, पांच व अठाई जीवन विज्ञान में एम. ए. संवत् 2038 में समणी दीक्षा ली थी। ज्ञानाराधना में संलग्न संवत् 2045 मेंसमणी दीक्षाली थी। जीवन विज्ञान में एम. ए., तप दिन 275 संवत् 2046 में समणी दीक्षा, यथोचित ज्ञानार्जन, तप सैकड़ों उपवास, बेले-तेले कुछ, अठाई। | पूर्व में समणी दीक्षा संवत् 2046,प्रतिवर्ष 30 उपवास समणी दीक्षा संवत् 2047, यथोचित ज्ञानाभ्यास, प्रतिवर्ष दो मास एकांतर, दस प्रत्याख्यान पूर्व में समणी दीक्षा संवत् 2043,यथोचित ज्ञानाराधना, प्रतिवर्ष दो मास एकांतर उपवास 487. 1595 श्री अमितयशाजी 2019 गंगाशहर | खूमचंदजी पारख | 2047 का. कृ.8 ] पाली 488. 1596 श्री मननप्रभाजी | 2019 उदासर भीखणचंद चोरडिया 2047 फा. शु. 10 | राजसमन्द | श्री शांतिप्रभाजी | 2022 राजलदेसर | जसकरणजी बैद 2047 फा. शु. 10 ।। राजसमन्द 1600 |श्री ध्यानप्रभाजी | 2024 मद्रास सुखराजजी आछा | 2048 का. शु. 10 | लाडनूं जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास 491. 1603 | हंसराजजी दूगड़ | 2049 का. कृ.7 | लाडनूं www.jainelibrary.org

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