Book Title: Jain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Author(s): Vijay Sadhvi Arya
Publisher: Bharatiya Vidya Pratishthan

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Page 1067
________________ संदर्भ ग्रंथ-सूची 181. भगवान महावीर और उनका तत्त्वदर्शन : लेखक-आचार्य देशभूषणजी महाराज, जैन साहित्य समिति, कूचा बुलाकी बेगम, दिल्ली - 6, ई. 1973 (प्र. सं.) 182. भट्टारक सम्प्रदाय : लेखक-डॉ. वि. जोहरापुरकर, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर, ई. 1958 183. भारत के दिगंबर जैन तीर्थ : भाग 1-3, लेखक-बलभद्र जैन, भारतीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी, हीराबाग बम्बई, ई. 1974-76 184. भारत श्रमण संघ गौरव आचार्य सोहन : लेखक-प्रवर्तक मुनि शुक्लचंद्र, अम्बाला, ई. 2004 (द्वि. सं.) 185. भारतीय संस्कृति : लेखिका-डॉ. प्रीतिप्रभा गोयल, राजस्थानी ग्रंथागार जोधपुर, ई. 1991 (प्र. सं.) 186. भारतीय संस्कृति और श्रमण परम्परा : लेखक-डॉ. हरीन्द्रभूषण जैन, वीर निर्वाण भारती, मेरठ (उत्तरप्रदेश) ई. 1974 (प्र. सं) 187. भारतीय श्रमण संस्कृति : लेखक-जवाहरलाल जैन, ग्रंथ भारती जौहरी बाज़ार जयपुर, ई. 1991 188. भुयणसुन्दरी कहा : श्री विजयसिंह सूरि, पाटण, ई. 2000 189. मज्झिमनिकाय : अनुवादक-राहुल सांकृत्यायन, महाबोधि सभा सारनाथ, वाराणसी, ई. 1964 190. मणिधारी जिनदत्तसूरि अष्टम शताब्दी स्मृति ग्रंथ : अगरचंद नाहटा, दिल्ली, ई. 1971 191. मद्रास व मैसूर के प्राचीन जैन स्मारक : ब्र. शीतलप्रसादजी, दिगम्बर जैन पुस्तकालय चांदावाड़ी सूरत, वी. सं. 2454 192. मध्य एशिया और पंजाब में जैनधर्म : लेखक-हीरालाल दुगड़, जैन प्राचीन साहित्य प्रकाशन मंदिर, शाहदरा, दिल्ली, ई. 1979 (प्र. सं.) 193. मध्यकालीन भारत में सूफी मत का उद्भव और विकास : लेखक-डॉ. श्रीमती राजबाल सिंह, अशोक प्रकाशन दिल्ली ई. 1995 194. मध्यकालीन मालवा में जैनधर्म : शोध प्रबन्ध-प्रकाशचन्द जैन, प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (मध्यप्रदेश) 195. मध्यकालीन राजस्थान में जैनधर्म : डॉ. श्रीमती राजेश जैन, पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी, ई. 1991-92 196. मध्यप्रदेश के दिगम्बर जैन तीर्थ : बलभद्र जैन, अ. भा. दि. जैनतीर्थ क्षेत्र कमेटी बम्बई, ई. 1976 197. मनुस्मृति : मनु प्रकाशक, निर्णय सागर प्रैस बम्बई, ई. 1946 198. महान साध्वीओ : सम्पादक-भिक्षु अखंडानंद, सस्तु साहित्यवर्धक कार्यालय, अहमदाबाद, सं. 1985 199. महापुराण : अनुवादक-देवेन्द्रकुमार जैन, भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली, ई. 1979 (प्र. सं.) 200. महाभारत : वेद व्यास, गीताप्रैस, गोरखपुर 201. महावग्गपालि : (विनयपिटके), भिक्खु जगदीस कस्सप, नालंदा देवनागरी पालि ग्रंथमाला बिहार, ई. 1956 hoos Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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