Book Title: Jain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Author(s): Vijay Sadhvi Arya
Publisher: Bharatiya Vidya Pratishthan

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Page 1039
________________ Jain Education International तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ 977 सरदारशहर For Private & Personal Use Only क्रम सं दीक्षा क्रम| साध्वी-नाम जन्मसंवत् स्थान| पिता-नाम गोत्र दीक्षा संवत् तिथि दीक्षा स्थान विशेष-विवरण 414. 1501 श्री विवेक श्रीजी |2017 चाड़वास माणकचंदजी सेठिया | 2037 फा. कृ.9 चूरू यथोचित ज्ञानाभ्यास, तप संख्या 312, कंठमधुर, हजारों पद्यों का प्रतिदिन स्वाध्याय व जप श्री शशिकलाजी | 2011 हांसी किशोरीलाल सिंगल| 2038 का. शु. 2। | नई दिल्ली | यथोचित ज्ञानार्जन, तप संख्या 639,पांच बार दस प्रत्याख्यान श्री कमलयशाजी |2012 मोमासर मांगीलालजी संचेती 2038 का. शु. 2 | नई दिल्ली | यथायोग्य ज्ञान विकास, लिपिकला दक्ष, कुल तप संख्या 530, दस प्रत्याख्यान 15 श्री जगत्प्रभाजी |2012 हिसार ओमप्रकाशजी गोयल | 2038 का. शु. 2 | नई दिल्ली | साहित्य-आवश्यक नियुक्ति पर शोधकार्य, श्री छगनांजी 'बोरावड' की जीवनी, तप-सैकड़ों उपवास, दस प्रत्याख्यान 13 श्री अमितश्रीजी | 2014 सरदारशहर शुभकरणजी दूगड़ | 2038 का. शु. 2 | नई दिल्ली | यथाशक्य ज्ञान, 1 से 9 तक लड़ीबद्ध तपस्या कुल संख्या 842 श्री रचनाश्रीजी |2016 टमकोर मंगलचंदजी गिड़िया | 2038 पौ. शु.5 आगम स्तोक, संस्कृत आदि अध्ययन, विविधकलात्मक वस्तुओंका निर्माण लेख, गीत कविता आदि का सृजन श्री सम्यक्प्रभाजी | 2017 सरदारशहर | सूरजमलजी बोथरा | 2038 पौ. शु. 5 सरदारशहर कई स्तोक कंठस्थ, आगमवाचन, तप संख्या 461 श्री पूर्णिमाश्रीजी | 2017 सरदारशहर | माणकचंद दूगड़ | 2038 पौ. शु. 5 सरदारशहर यथायोग्य ज्ञान, तप,साधना श्री चन्दनप्रभाजी | 2019 नोखामंडी | कन्हैयालालजी मालू 2038 पौ. शु. 5 सरदारशहर | संवत् 2054 में गण से पृथक् श्री सुदर्शनाश्रीजी | 2019 सरदारशहर | भैरुदानजी चंडालिया | 2038 पौ. शु. 5 सरदारशहर | शिक्षा आगम, भाष्य संघीय साहित्य, तप 1 से 8 तक लड़ीबद्ध कुल संख्या 904 श्री सुधाकुमारीजी |2016 बीदासर भीखमचंदजी बैद | 2038 चै. कृ. 2 बीदासर सामान्य साधुयोग्य शिक्षण, कार्यकुशल श्री निर्मलाश्रीजी | 2014 उदासर | चम्पालालजी मुणोत | 2039 चै. शु. 2 लाडनूं गण से पृथक् संवत् 2049 में श्री मर्यादाश्रीजी |2015 गोगुंदा । | भंवरलाल गोरवाड़ा | 2039 चै. शु. 2 लाडनूं कई स्तोक, संस्कृत व अन्य ग्रंथों का शिक्षण,तप संख्या 1307,तीर्थंकरों की लड़ी, सैकड़ों एकासन www.jainelibrary.org

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