Book Title: Jain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Author(s): Vijay Sadhvi Arya
Publisher: Bharatiya Vidya Pratishthan

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Page 1031
________________ Jain Education International तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ 1368 305. For Private & Personal Use Only 696 क्रम सं दीक्षा क्रम| साध्वी-नाम जन्मसंवत् स्थान| पिता-नाम गोत्र |दीक्षा संवत् तिथि | दीक्षा स्थान | विशेष-विवरण 302. 1366 10 श्री अजितप्रभाजी 1993 खींवाड़ा | ताराचंदजी खटेड | 2022 चै. कृ. 13 | हनुमानगढ़ | कतिपय सूत्र स्तोत्र, तप-उपवास से नौ तक कुल संख्या 1653, प्रतिदिन जाप, मौन का क्रम 303. 367 श्री मधुबालाजी | 2004 मोमासर सोहनलालजी संचेती | 2023 चै. शु. 13 | गंगानगर सूत्र स्तोक आदि का ज्ञान 304. | श्री मंजुबालाजी |2004 मोमासर | कोडामलजी सेठिया | 2023 चै. शु. 13 गंगानगर तीन सूत्र व अनेक स्तोक कंठस्थ,विदुषी, सूक्ष्माक्षर लेखन में दक्ष, तप दिन 351 369 श्री किरणमालाजी | 2003 नेपाल | पन्नालालजी छाजेड़ 2023 वै. कृ. 5 अबोहर सामान्य ज्ञान 306. 370 श्री कल्याण 2007 टमकोर नेमीचंदजी कोठारी | 2023 वै. शु. 11 | राजसिंहनगर | ज्ञान-कुछ स्तोक आगम आदि, लिपिकला सुमालाजी दक्ष,तपसंख्या 1031,अढ़ाई सौप्रत्याख्यान 307. 1371 | श्री विनयवतीजी |2004 हांसी |प्रसन्नलाल गोयल | 2023 का. कृ.7 | बीदासर | आगम, व्याख्यान कंठस्थ, कुछ गीत रचे, तपसंख्या 1027,आबिल,एकासन 500 308. 1372 श्री सत्यवतीजी |2004 हांसी खुशीरामजी गोयल 2023 का. कृ.7 | बीदासर ज्ञान-सूत्र, स्तोक व अन्य, साहित्य परिसंवाद,शब्दचित्र,गीत,तप1 से 8 तक संख्या 727 309. 375 श्री कंचनमालाजी |2005 सरदारशहर कन्हैयालालजीगांधी 2023 का. कृ.7 | बीदासर 11 अंग वाचन,तप 1 से 8 उपवास संख्या 1305,5 विगय त्याग 310. 1376 श्री रमावतीजी |2005 बीदासर भंवरलालजी बाठिया | 2023 का. कृ.7 | बीदासर कंठस्थ2 सूत्र,कुछ स्तोक,संस्कृतश्लोक, तप संख्या 418 311. 377 श्री चन्द्रावतीजी |2006 गंगाशहर सेरमलजी छाजेड़ | 2023 का. कृ.7 | बीदासर कंठस्थ-1 सूत्र, कुछ स्तोत्र, स्तोक, तप संख्या 1 से 15 तक 1751 अढाई सौ प्रत्याख्यान 2 बार, पद्य रचना | 312. 379 श्री प्रभाश्रीजी |2004 बाव (गु.) | नरपतभाई मेहता | 2024 वै. कृ.4 ज्ञान कुछ स्तोक,स्तोत्र, शास्त्र कंठस्थ, तप अढ़ाई सौ प्रत्याख्यान 3 बार, कुल उपवास 723 | 313. 380 श्री शशीरेखाजी |2006 बाव हरखचंदजी मेहता | 2024 ज्ये. शु.8 | राजकोट कंठस्थ 2 आगम,स्तोक,स्तोत्र,तपसंख्या 337 www.jainelibrary.org

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