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स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ
6.7 हस्तलिखित प्रतियों में स्थानकवासी जैन श्रमणियों का योगदान :
6.7.1 आर्या नाकू (सं. 1555) ___ ऋषि धनाजी द्वारा प्रतिलिपिकृत 'संवेगद्रुम मंजरी' (सं. 1555) मोरबी नगर में आर्या नाकू को पठनार्थ दी। यह प्रति महावीर जैन विद्यालय मुंबई में (नं. 623) है।489 6.7.2 आर्या सुधो (सं. 1627)
आर्या सुधो ने सं. 1627 में आर्या पद्मावती के लिये दशवैकालिक सूत्र लिखा। सुधोजी आर्या वीरोजी की शिष्या के रूप में उल्लिखित है। यह प्रति बी. एल. इन्स्टीट्यूट दिल्ली (परि. 2049) में है।
6.7.3 आर्या सिंगारो (सं. 1635)
आर्या गढ़ो की शिष्या आर्या सिंगारो ने सं. 1635 को त्रिकुट में 'भगवतीसूत्र' की प्रतिलिपि की। प्रति बी. एल. इन्स्टीट्यूट दिल्ली (परि. 2538) में संग्रहित है। इन्हींकी 'दशवकालिक सूत्र की प्रतिलिपि सं. 1639 की। दिल्ली (परि. 125) में तथा ज्ञाताधर्मकथा सूत्र सं. 1643 का समाणा नगर में प्रतिलिपि किया हुआ बी. एल इन्स्टी. दिल्ली (परि. 2548) में संग्रहित है।
6.7.4 आर्या गढो (सं. 1640)
__ आर्या नानक की शिष्या आर्या गढ़ो की संवत् 1640 में समाणा में लिखी गई 'निरयावलिका सूत्र' (सटिप्पण) की प्रति बी. एल. इन्स्टी . दि. (परि. 1610) में है।
6.7.5 आर्या वाल्ही (सं. 1643)
बुधरायकृत 'मदनरास' (रचना 1589) की सं. 1643 कार्तिक शु. 15 की प्रतिलिपि में आर्या मंगाई एवं आर्या वाल्ही दोनों के दस्तखत हैं। प्रति रोयल एशियाटिक सोसायटी टाउन हॉल मुंबई' में है।190
6.7.6 आर्या मीमी (सं. 1648)
ये आचार्य नानग के पट्टधर आचार्य राम (दास) की आज्ञानुवर्तिनी थीं, सं. 1648 भाद्रपद कृ. 3 बुधवार को इन्होंने आर्या नगीनाजी के पठनार्थ उपासकदशासूत्र की प्रतिलिपि की। प्रति सुशीलमुनि आश्रम नई दिल्ली (अप्रकाशित सूची) में है।
6.7.7 आर्या सुखी (सं. 1649)
अकबर रसूल शहर में सं. 1649 का उपासकदशासूत्र आर्या सुखी द्वारा प्रतिलिपि किया गया प्राप्त होता है। 489. जै. गु. क., भाग 1, पृ. 210 490. जै. गु. क. भाग 1 पृ. 308
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