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तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ
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क्रम सं| दीक्षा क्रम| साध्वी-नाम जन्मसंवत् स्थान | पिता-नाम गोत्र | दीक्षा संवत् स्थान | स्वर्गवास
विशेष-विवरण 0 श्री रुपकंवरजी नागौर
सुराणा 1897 वै. शु. 12 नागौर तप-9, 14, 29, 6, स्वर्गवास संवत
1918 खेरवा में श्री सिणगारांजी मेवाड्या रांका
1897 ज्ये. कृ.5 | मेवाड्या तप-10, 11, स्वर्गवास संवत् 1928
बोरावड़ में श्री भूरांजी डीडवाणा सुराणा 1897 आषा. शु. 3 डीडवाणा स्वर्गवास संवत् 1937 - श्री मगनांजी | लाडनूं खटेड़ 1898 मृ. कृ. 1 | लाडनूं तप-15, 30 19, 19 दिन का, स्वर्गवास
संवत् 1917 गंगापुर श्री नवलांजी लूंकड़ 1898 मृ. शु. 4 | जयपुर अग्रणी विचरी, स्वहस्त से 7 दीक्षाएं
की,संवत् 1949 सरदारशहर में दिवंगत श्री ओटांजी कंटालिया सकलेचा 1898 मृ. शु. 4 | कटालिया तप-17, 19, 18, मासखमण,
स्वर्गवास 1916 के बाद जययुग में । श्री हरखूजी
1898
आचार्य रायचंद यग में दिवंगत श्री लिछमांजी | बगड़ी खाठेड़ 1898 चै.शु. 7(द्वि | बगड़ी | 17 दिन का तप, संवत् 1920 बीदासर
में दिवंगत श्री नन्दूजी | घड़सीसर बरडिया 1898 वै. शु. 4 सरदारशहर | दो बार 60-60 दिन का तप किया,
संवत् 1918 बोरावड़ में दिवंगत नाथांजी | झूपेरा पोरवाल 1898 वै. शु. 15
तप-15, 15, 13 दिन का,
स्वर्गवास-संवत् 1916 के बाद जययुग में श्री चंदनाजी कंटालिया पोरवाल 1898 वै. शु. 15
श्री नाथां जी की पुत्री थीं, संवत् 1942|
में दिवंगत श्री रत्नांजी | नाथूसर सेठिया 1899 म. कृ. 6 सरदार शहर | तप-10 दिन का व 3 मासखमण,
संवत् 1920 में स्वर्गवास श्री सिणगारांजी| सुजानगढ़ भंसाली 1899 मृ. शु. 3 | लाडनूं आछ के आगार से मासखमण व 40
दिन का तप, गर्म पानी के आगार से मासखमण, संवत् 1903 घोइंदा में| पंडितमरण
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