Book Title: Jain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Author(s): Vijay Sadhvi Arya
Publisher: Bharatiya Vidya Pratishthan
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दीक्षा क्रम साध्वी-नाम जन्मसंवत् स्थान | पिता-नाम गोत्र दीक्षा संवत् तिथि दीक्षा स्थान | विशेष-विवरण
श्री सूरजकंवरजी 1988 छोटी खाटू उगमचंदजी भंडारी | 2005 का. कृ. 8 छापर संवत् 2055 बीदासर में स्वर्गस्थ | श्री किस्तूरांजी | 1990 सरदार शहर हजारीमलजी सुराणा 2005 का. कृ. 8 छापर संवत् 2042 सुजानगढ़ में स्वर्गस्थ
श्री मनोहरांजी | 1982 आडसर छोगमल सामसुखा | 2006 का. कृ. 8 | जयपुर संवत् 2053 चूरू में स्वर्गस्थ IN श्री मदनकंवरजी| 1989 उज्जैन नेमीचंदजी बोरदिया | 2006 का. कृ. 8 जयपुर यथाशक्य ज्ञानाभ्यास सक्ष्माक्षर लेखन
कला, तप संख्या 782, दस प्रत्याख्यान
15,सेवाभाविनी 10श्री दीपांजी | 1986 डूंगरगढ़ वृद्धिचंदजी बाफणा | 2006 पौ. शु. 8 | सवाई माधोपुर संवत् 2038 में गण से पृथक् श्री कानकंवरजी 1982 बीदासर |गोरधनदास बरमेचा 2007 का कृ.7 | हांसी 40 दिन का तप 10 दिन का अनशन कुल
50 दिन तप अनशन सह संवत् 2046
राजलदेसर में स्वर्गस्थ 10श्री कलावतीजी| 1985 सुजानगढ़ | नेमीचंदजी नाहटा 2007 का. कृ.7 | हांसी संवत् 2041 लाडनूं में स्वर्गस्थ 10श्री लीलावतीजी| 1987 केसूर, म.प्र.रूपचंदजी दक 2007 का कृ.7 हांसी सजोड़े दीक्षा, 1 से 10 उपवास लड़ीबद्ध,
आछ के आधार से 50 दिन का तप श्री कमलावतीजी 1987 लाडनूं महालचंदजी सिंधी | 2007 का.कृ.7 | हांसी यथाशक्य ज्ञानार्जन, उपवाससंख्या 1409,
दस प्रत्याख्यान 13,आबिल तेले 7,31
का थोक | 241 श्री पद्मावतीजी 1988 शाहदा देवकरणजी गेलड़ा | 2007 का. कृ.7 | धूलिया दीक्षा साध्वी भत्तूजी द्वारा हुई,प्रतिदिन 300
गाथाओं का स्वाध्याय, प्रतिवर्ष 40-50
उपवास, बेले से नौ तक तप संख्या 82 श्री इन्दिराजी | 1985 आडसर तोलारामजी आरी | 2007 पौ. कृ. 2 | उकलाना मंडी | कलादक्ष, तप संख्या 1020, ज्ञान-आगम,
स्तोक, व्याकरण श्री गुणश्रीजी | माणकचंद चोरड़िया 2007 पौ. शु. 7 हिसार ज्ञान-आगम, संघीय साहित्य, कलादक्ष,
लगभग 700 उपवास श्री मंजुलाजी | 1992 लाडनूं | सूरजमलजी बैद | 2007 पौ. शु.7 | हिसार साध्वी प्रमुखाकनकप्रभाजीकीज्येष्ठाभगिनी.
विदुषी साध्वी,संवत् 2038 में संघ मुक्त
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
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