Book Title: Jain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Author(s): Vijay Sadhvi Arya
Publisher: Bharatiya Vidya Pratishthan
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क्रम सं| दीक्षा क्रम| साध्वी-नाम जन्मसंवत् स्थान पिता-नाम गोत्र | दीक्षा संवत् तिथि | दीक्षा स्थान | विशेष-विवरण
| श्री पूनांजी 1971 डूंगरगढ़ | तोलारामजी मालू | 1982 आषा.कृ.10 | बीकानेर | सरल, विनम्र, संवत् 2037 लाडनूं में स्वर्गस्थ 144 श्री गुलाबांजी 1973 भादरा | सुगनचंदजी नाहटा 1982 आषा.कृ.10 | बीकानेर | कच्छ देश में भुज मांडवी तक विहार करने
वाली प्रथम साध्वी, तपस्विनी श्री सुगनांजी 11948 राजलदेसर | छोगजी बैद 1983 मा. शु.7 लाडनूं संवत् 1983 बीदासर में दिवंगत
श्री मनोरांजी 1967 सुजानगढ़ | गणेशमलजी चोरड़िया 1983 मा. शु. 7 लाडनूं सरल शांत, अग्रणी, यथाशक्य तप 1500श्री मालूजी |1967 किराड़ा | तनसुखदासजी नाहटा| 1984 श्रा.शु. 13 । | श्रीडूंगरगढ़ | तपस्विनी 2351 उपवास, 97 बेले, 202
| तेले, 11 चोले,14 पचोले,6-11,15,21,
| 31,32 उपवास, सैंकड़ों आयंबिल | 151 श्री केशरजी |1971 डूंगरगढ़ | ईश्वरचंदजी पुगलिया 1984 श्रा. शु. 13 श्रीडूंगरगढ़ | यथाशक्य शास्त्र,स्तोक,व्याख्यान कंठस्थ,
1700 पन्ने प्रतिलिपि, तप 2600 उपवास,
105 बेले श्री सोनांजी | 1972 डीडवाना | फतेहमलजी लोढ़ा | 1984 श्रा. शु. 13 | श्रीडूंगरगढ़ | 23 शास्त्र पढ़े, आगम व्याख्यान लिपिबद्ध
किये, कुल तप दिन 3293 |श्री सजनांजी |1959 देशनोक | सौभाग्यमलजी सुराण 1984 का. कृ. 8 श्रीडूंगरगढ़ | आगम बत्तीसी पढ़ी,अध्यात्म प्रतिबोधिका,
अग्रणी, कुल तप 3 वर्ष 10 मास 3 दिन श्री अमतांजी |1971 देशनोक | हलासमलजी आंचलिया। 1984 का. कृ.8 श्रीडूंगरगढ़ तपस्या-मासखमण,8,5,4,3,2 व कई
उपवास,संवत् 1996 राजलदेसर में दिवंगत श्री सुन्दरजी 1971 डूंगरगढ़ | रामलालजी बोथरा | 1984 का. कृ.8 | श्रीडूंगरगढ़ |लगभग 5 हजार पद्य प्रमाण कंठस्थ. 21
सूत्र पढ़े,प्रतिदिन 1 हजारगाथाओंकास्वाध्याय श्री चूनांजी |1971 लाडनूं | छवानमलजी दूगड़ 1984 का. कृ. 8 श्रीडूंगरगढ़ | संवत् 2007 राजनगर में स्वर्गस्थ । श्री लाधूजी 1965 डूंगरगढ़ ताराचंदजी मालू 1985 का. कृ.7 | छापर कंठस्थ-दो शास्त्र, कुछ व्याख्यान, तप
1500 उपवास, 10 बेले, 3 तेले,2 नौ । | श्री इन्द्रूजी 1969 राजलदेसर | चुन्नीलालजी दूगड़ | 1985 का. कृ. 7
कंठस्थ-कुछ थोकड़े। तप के कुल दिन |
2494,कड़ाई विगयके अतिरिक्तविगय-त्याग |श्री किस्तूरांजी 1973 राजलदेसर | चुन्नीलालजी डागा | 1985 का. कृ. 7 छापर कंठस्थ-कुछ स्तोक व्याख्यान, लिपि-13 |
सूत्र त कई व्याख्यान कुल तप दिन 1763
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
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