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चतुर्थ आचार्य श्री जीतमलजी महाराज के शासनकाल की अवशेष श्रमणियाँ (वि. सं. 1908-1938)9
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। विशेष-विवरण
क्रम सं दीक्षा क्रम| साध्वी-नाम 1. | 1 0 श्री चन्दनांजी
जन्मसंवत् स्थान | पिता-नाम गोत्र | दीक्षा संवत् तिथि | दीक्षा स्थान धामली पचाणच्या बोहरा | 1908 मा.शु. 11 |बींठोड़ा
तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ
| 20 श्री वन्नांजी
चूरू
बुधमलजी बोथरा | 1908 फा. कृ.6
| बीदासर
1908 फा. कृ.6
3. 4 4. | 5
0 0
श्री हस्तूजी | बीदासर श्री वरजूजी | बीकानेर
| डागा सेठिया
| बीदासर | बीदासर
६06
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0 श्री चांदकंवरजी | बीकानेर
श्री हरखूजी | बीकानेर
हस्तीमलजी गोलेछा 1908 वै. शु.7 | हस्तीमलजी गोलेछा | 1908 वै. शु. 7
बीदासर बीदासर
जयाचार्य की प्रथम शिष्या, कुल तप संख्या 1342, दस प्रत्याख्यान 35, संवत् 1952 लाडनूं में स्वर्गस्थ मघवागणी एवं गुलाबांजी की माता,तप-6, 8,11,16,17,19,20 छोड़कर 1 से 21 उपवास तक की लड़ी,मासखमण, शीत में एक पछेवड़ी का उपयोग, संवत् 1925 लाडनूं में स्वर्गस्थ संवत् 1933 में स्वर्गवास - दो पुत्रियां-चांदकवर जी, हरखू जी भी साथ में दीक्षित, स्वर्गवास,संवत् 1916 के बाद जययुग में दिवंगत संवत् 1933 बीदासर में पंडितमरण संवत् 1936 में गण से पृथक् होकर 9 साधु-साध्वियों ने "प्रभु-पंथसंघ"स्थापित किया। किंतु वह चला नहीं। तप-10, 11, 16, 18-21,30,31,33, 43 उपवास, संवत् 1939 में दिवंगत माता जेतांजी व बहिन रायकंवरजी भी दीक्षित हुईं। संवत् 1920 में दिवंगत अग्रणी, स्वहस्त से 5 दीक्षाएं दीं, संवत् 1943 में स्वर्गस्थ तप के कुल दिन 1621, दस प्रत्याख्यान 30,संवत् 1952 में दिवंगत
|
7.
80 श्री मोतांजी
| *बीकानेर
*बांठिया
| 1908 वै. शु.7
| बीदासर
श्री नाथांजी
| चितामा
मांडोत
1908 ज्ये. शु. 3
चितामा
120
श्री सिणगारांजी राजलदेसर
दुगड़
1909 का. शु.3
लाडनूं
13
श्री मधूजी
।
लाडनू
सहजावत
1909 म. कृ. 5
जयपुर
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29. मुनि नवरत्नमलजी-शासन-समुद्र भाग-9. आदर्श साहित्य संघ, चुरु (राज.) ईसवी सन् 1984 (प्र.सं.)