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________________ Jain Education International तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ ا For Private & Personal Use Only 0000000000000 897 क्रम सं| दीक्षा क्रम| साध्वी-नाम जन्मसंवत् स्थान | पिता-नाम गोत्र | दीक्षा संवत् स्थान | स्वर्गवास विशेष-विवरण 0 श्री रुपकंवरजी नागौर सुराणा 1897 वै. शु. 12 नागौर तप-9, 14, 29, 6, स्वर्गवास संवत 1918 खेरवा में श्री सिणगारांजी मेवाड्या रांका 1897 ज्ये. कृ.5 | मेवाड्या तप-10, 11, स्वर्गवास संवत् 1928 बोरावड़ में श्री भूरांजी डीडवाणा सुराणा 1897 आषा. शु. 3 डीडवाणा स्वर्गवास संवत् 1937 - श्री मगनांजी | लाडनूं खटेड़ 1898 मृ. कृ. 1 | लाडनूं तप-15, 30 19, 19 दिन का, स्वर्गवास संवत् 1917 गंगापुर श्री नवलांजी लूंकड़ 1898 मृ. शु. 4 | जयपुर अग्रणी विचरी, स्वहस्त से 7 दीक्षाएं की,संवत् 1949 सरदारशहर में दिवंगत श्री ओटांजी कंटालिया सकलेचा 1898 मृ. शु. 4 | कटालिया तप-17, 19, 18, मासखमण, स्वर्गवास 1916 के बाद जययुग में । श्री हरखूजी 1898 आचार्य रायचंद यग में दिवंगत श्री लिछमांजी | बगड़ी खाठेड़ 1898 चै.शु. 7(द्वि | बगड़ी | 17 दिन का तप, संवत् 1920 बीदासर में दिवंगत श्री नन्दूजी | घड़सीसर बरडिया 1898 वै. शु. 4 सरदारशहर | दो बार 60-60 दिन का तप किया, संवत् 1918 बोरावड़ में दिवंगत नाथांजी | झूपेरा पोरवाल 1898 वै. शु. 15 तप-15, 15, 13 दिन का, स्वर्गवास-संवत् 1916 के बाद जययुग में श्री चंदनाजी कंटालिया पोरवाल 1898 वै. शु. 15 श्री नाथां जी की पुत्री थीं, संवत् 1942| में दिवंगत श्री रत्नांजी | नाथूसर सेठिया 1899 म. कृ. 6 सरदार शहर | तप-10 दिन का व 3 मासखमण, संवत् 1920 में स्वर्गवास श्री सिणगारांजी| सुजानगढ़ भंसाली 1899 मृ. शु. 3 | लाडनूं आछ के आगार से मासखमण व 40 दिन का तप, गर्म पानी के आगार से मासखमण, संवत् 1903 घोइंदा में| पंडितमरण www.jainelibrary.org
SR No.001693
Book TitleJain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Sadhvi Arya
PublisherBharatiya Vidya Pratishthan
Publication Year2007
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size24 MB
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