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क्रम सं| दीक्षा क्रम साध्वी-नाम जन्मसंवत् स्थान | पिता-नाम गोत्र | दीक्षा संवत् स्थान | स्वर्गवास 88. | 91 - श्री हस्तूजी | बोरावड़ कोटेचा 1899 पौ. कृ. 10 सबलपुर
अग्रवाल
श्री चन्नणांजी | रतनगढ़ । श्री मधूजी लाडनूं
1899 पौ. शु. 3 1899 पौ. शु. 15 | लाडनूं
डागा
- श्री हरखूजी | सुजानगढ़
हरिसिंह जी बोथर 1899 आसो. शु. 71 बीदासर
श्री मानकंवरजी बोरावड़
बोथरा
1899 -
श्री नाथांजी
सुजानगढ़
कोचर
1899 चैत्र कृ.
सुजानगढ़
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तप-4,4,8,8, 15, 16, 12 दिन का तप, संवत् 1931 वै. कृ. 11 को लाडनूं में स्वर्गस्थ ऋषिराय युग में दिवंगत तप-4 नौ, 5 पांच, 8 तीन बार तथा 9, 10 दिन का तप, वर्षीतप, संवत् | 1958 आमेट में स्वर्गस्थ माता सिणगारां जी भी दीक्षित, 1 से 81 तक तप, संवत् 1920 चूरू में स्वर्गस्थ 21 दिन के संथारे के साथ जयपुर में संवत् 1904 को स्वर्गस्थ तप-8, 10, 11, 14, 36 दिन का, संवत् 1932 में स्वर्गस्थ तप-18, 30, 60, 14, 16, 30 तथा 130 दिन का तप, संवत् 1928 में स्वर्गस्थ तप-8, 10 दिन का, संवत् 1920 में दिवंगत हरियाणा में जाने वाली प्रथम साध्वी, स्वहस्त से 8 दीक्षाएं दी,संवत् 1948 में स्वर्गस्थ | स्वहस्त से 5 दीक्षाएं दी, स्वर्गवास संवत् 1944 सजोड़े दीक्षा उपवास से 13 दिन तक | लड़ीबद्ध तप, प्रकृति से भद्र, विनीत, सेवार्थिनी, संवत् 1911 बामनिया में स्वर्गस्थ दो वर्ष संयम पालकर संवत् 1902 मांडा में दिवंगत हुईं।
lo श्री गंगाजी
सुरायता
पोरवाल
1899 चैत्र शु. 7
|
औरं
किशनगढ़
किशनगढ़
श्री नवलांजी श्री सेरांजी
मुणोत *संचेती
1899 ज्ये. कृ. 1899 -
| *मोमासर
चाड़वास
बोरड़
1899 आषा. पूर्णिमा, किशनगढ़
In श्री सुजान कंवरजी ० श्री जेताजी
ओलखाण
| पोरवाल
1900 आसो. शु. 9
जयपुर
जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
99. | 102
श्री बगतूजी | *रीणी
ओसवाल
1900 म. कृ. 6
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