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स्थानकवासी परम्परा की श्रमणियाँ
6.7.31 आर्या केसर (सं. 1713)
__ आपने 'विचार संग्रहणी सस्तबकं मूल सं. 1713 में मनवरंगपुर में लिपि किया एवं स्तबक सं. 1715 में । दादरी में लिखा। इसकी हस्तलिखित प्रति बी. एल. इंस्टीट्यूट दिल्ली (परि. 3178) में है। 6.7.32 आर्या गंगोजी (सं. 1720)
___ सं. 1720 में आर्या वीराजी की शिष्या गंगोजी द्वारा प्रतिलिपि किया हुआ 'कल्पसूत्र सस्तबक' मरूगुर्जर । भाषा में बी. एल. इंस्टीट्यूट दिल्ली (परि. 2430) में है। 6.7.33 आर्या हुश्यारजी (सं. 1746)
'अनुत्तरोपपातिक दशासूत्र सस्तबक' मरूगुर्जर भाषा का सं. 1746 में कुक्षीरपुर में आर्या सावोजी की शिष्या आर्या हुश्यारजी का लिखा हुआ है। इसकी प्रति बी. एल. इंस्टीट्यूट दिल्ली में (परि. 1417) है।
6.7.34 आर्या धरमो (सं. 1746)
इनका सं. 1746 को उद्दीयारपुर में मरूगुर्जर भाषा में लिखा हुआ 'निरयावलिका सूत्र सस्तबक' बी. एल. इंस्टीट्यूट (परि. 1615) में है। ये आर्या सांबो की शिष्या थीं। इनकी अन्य प्रतियां 'गजसुकुमाल चौपाई,' परदेशी राजा की चौपाई एवं भक्तामर स्तोत्र भाषा की पांडुलिपि भी इन्स्टी. में (परि. 7289, 7048, 8563/1) संग्रहित
6.7.35 आर्या धर्मो (सं. 1746)
पंजाब की महासाध्वी आर्या धर्मो ने वि. सं. 1746 होश्यारपुर (पंजाब) में अनुत्तरोपपातिक सूत्र पर 'टबा' । लिखा।
6.7.36 आर्या फत्ताजी (सं. 1750)
इनका सं. 1750 का आगरा में लिखित 'कल्पसूत्र सस्तबक' गुजराती भाषा का बी. एल. इंस्टीट्यूट दिल्ली (परि. 2588) में है।
6.7.37 आर्या उल्लास (सं. 1752)
ये जयकंवरजी की शिष्या थीं, इन्होंने सं. 1752 में समयसुंदरोपाध्याय की राजस्थानी भाषा में रचित 'चार प्रत्येक बुद्ध की चौपाई' (रचना सं. 1665) की प्रतिलिपि की। प्रति बी. एल. इन्स्टी. दि. (परि. 6925) में संग्रहित है। 6.7.38 आर्या पूरां (सं. 1759)
ये आर्या रूषमादे की शिष्या आर्या गंगाजी की शिष्या थीं। ऋषि विकाजी के शिष्य जगन्नाथ ने सं. 1759 502. म. ए. और पं. में. जै., ही. दुगड़, पृ. 388
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