Book Title: Jain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Author(s): Vijay Sadhvi Arya
Publisher: Bharatiya Vidya Pratishthan

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Page 923
________________ तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ द्वितीय आचार्य सम्राट् श्री आनन्दऋषिजी महाराज ने इस आयोजन में पधारकर मुमुक्षुओं को आशीर्वाद प्रदान किया था। जिनप्रभाजी योग्य व विदुषी साध्वी हैं इन्होंने जैन साहित्य भारती को 'उजालों की खोज', 'मानवता का दीप' 'चादर चरित्र की' ये तीन कृतियां अर्पित की। अमृतकलश भाग 1-3 उत्तराध्ययन की जोड़ का संपादन कार्य भी किया। वर्तमान में भी आप संपादन कार्य में संलग्न है। 7.11.61 श्री शीलप्रभाजी 'सरदारशहर' (सं. 2022-वर्तमान) 9/364 आपका जन्म संवज् 2003 को श्री सूरजमलजी दूगड़ के यहां हुआ। आपकी दीक्षा भी दिल्ली में कार्तिक शु. 13 को हुई। सप्तवर्षीय संस्थान की परीक्षाएं उत्तीर्ण कर अवधान प्रयोग से भी शासन की प्रभावना कर रही हैं। आपने कई गीत, मुक्तक, दोहे भी बनाये हैं। 7.11.62 श्री कल्पलताजी 'लाडनूं' (सं. 2023-वर्तमान) 9/373 संवत् 2005 में खटेड गोत्रीय श्री नगराजजी के यहां आपने जन्म ग्रहण किया, तथा कार्तिक कृष्णा 7 को बीदासर में 7 अन्य बहनों के साथ श्रमणी दीक्षा ग्रहण की। आप योग्य एवं विदुषी साध्वी हैं। 'आस्था के चमत्कार' भाग 1-3, 'इतिहास के नूपुर' आपकी मौलिक कृतियां हैं। कई पुस्तकों - 'शासन कल्पतरु', 'कीर्तिगाथा', 'जयकीर्तिगाथा', 'संस्मरणों का वातायन' का सल संपादन किया है। वर्तमान में भी आचार्य तुलसी के साहित्य-संपादन में श्रमणी प्रमुखा श्री जी के साथ संलग्न हैं। 15 वर्षों तक संघीय साप्ताहिक विज्ञप्ति लेखन का कार्य किया, लगभग 35 वर्षों से अखिल भारतीय तेरापंथी महिला मंडल की गति-प्रगति में सुझाव देने का कार्य करती हैं। संवत् 2038 में आप सेवानिकाय की व्यवस्थापिका थीं। 7.11.63 श्री प्रेमलताजी 'श्री डूंगरगढ़' (सं. 2023-वर्तमान) 9/374 श्री मोतीलालजी मालू की आप सुपुत्री हैं, 18 वर्ष की वय में श्री कल्पलता जी के साथ बीदासर में दीक्षित हुईं। आपने अपनी मेधा शक्ति का परिचय 101 अवधान विद्या का प्रयोग करके दिया। आपका साहित्य इस प्रकार है-व्यवसाय प्रबंधन के सूत्र और आचार्य भिक्षु की मर्यादाएं, अंक सम्राट् आचार्य श्री तुलसी (शोध-ग्रंथ), प्रणाम (लघु काव्य), अरहन्ते शरणं पवज्जामि (लघु काव्य) ये चारों कृतियां श्री मोहनांजी के साथ संयुक्त होकर लिखीं। 7.11.64 श्री सरस्वतीजी 'हांसी' (सं. 2023-वर्तमान) 9/378 आप अग्रवाल गोयल गोत्रीय श्री दिलीपसिंहजी की कन्या हैं, आपकी दीक्षा भी 17 वर्ष की उम्र में बीदासर में कार्तिक कृष्णा को हुई। आपने श्रमणी जीवन में शासन श्री साध्वी रूपाजी की जीवनी, संगम-शालिभद्र, चन्दनबाला, हरिश्चन्द्र, सुभद्रा आदि परिसंवाद व अनेक गीतिकाएं रची। सं. 2053 से आप अग्रणी साध्वी हैं। 7.11.65 श्री लाभवतीजी 'बाव' (सं. 2024-वर्तमान) 9/382 ___ आपका जन्म गुजरात प्रांत के 'बाव' ग्राम में श्री चुन्नीलाल भाई मेहता के यहां सं. 2004 को हुआ। अहमदाबाद में कार्तिक कृ. 8 को आचार्य तुलसी जी द्वारा आप दीक्षित हुई। आपको प्रकृति से ही गायनकला 861 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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