Book Title: Jain Dharma ki Shramaniyo ka Bruhad Itihas
Author(s): Vijay Sadhvi Arya
Publisher: Bharatiya Vidya Pratishthan

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Page 927
________________ तेरापंथ परम्परा की श्रमणियाँ 7.11.81 श्री चित्रलेखाजी 'सुजानगढ़' (सं. 2034 - वर्तमान) 9/463 आप श्री वृद्धिचंदजी गोलछा की सुपुत्री हैं। आपने 19 वर्ष की वय में आचार्य श्री तुलसी से कार्तिक कृ. 7 को लाडनूं में दीक्षा ग्रहण की। श्री चित्रलेखाजी ने सप्तवर्षीय पाठ्यक्रम की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। संस्थान से जैनदर्शन पर एम. एम. भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। 7.11.82 श्री स्वर्णलताजी 'कर्णपुर' (सं. 2036-49) 9/478 अग्रवाल परिवार के मित्तल गोत्रीय लाला रामस्वरूपदासजी आपके पिताश्री थे। आपने 24 वर्ष की अविवाहित अवस्था में ज्येष्ठ शु. 2 को आचार्य तुलसी से 'नाभा' में दीक्षा ग्रहण की। अंतिम वर्षों में ये कैंसर रोग से ग्रस्त हो गईं, इसके लिये आपने तप जप की अध्यात्म चिकित्सा प्रारंभ की। 47 दिन की तपस्या से कैंसर ठीक हो गया। पुनः हो जाने पर रोहतक में संलेखना तप स्वीकार किया, तप के 69वें दिन आजीवन अनशन किया, वर्धमान परिणामों अनशन चलता रहा, संवत् 2049 आषाढ़ कृ. 9 को उनका स्वर्गवास हुआ। तेरापंथ धर्मसंघ में 75 दिन के अनशन का यह प्रथम कीर्त्तिमान था । 7.11.83 श्री शारदाश्रीजी 'भीनासर' (सं. 2037 - वर्तमान) 9/497 आपका जन्म संवत् 2014 को श्री गुलाबचंदजी बैद के यहां हुआ, चूरू में फाल्गुन कृष्णा 9 को आप दीक्षित हुई। आपने संघीय सप्तवर्षीय योग्यतम परीक्षाओं के साथ जैन विश्व भारती लाडनूं से जैन दर्शन में एम. ए. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया। साहित्य संपादन में आपका सहयोग रहता है। आपका कंठ सुरीला है। 7.11.84 श्री नयश्री जी 'चाड़वास' (सं. 2037 - वर्तमान) 9/499 श्री मानमलजी बैद के यहां संवत् 2015 को आपका जन्म व फाल्गुन कृष्णा 9 को चूरू में दीक्षा हुई। आपकी कला में विशेष रुचि है, योगक्षेम वर्ष में नारियल की जटा के तारों से गणाधिपतितुलसी की कलात्मक तस्वीर निर्मित की। कपड़े के कलात्मक प्याले व टोपसी बनाई। आप 8, 15 तक तपस्या कर चुकी हैं। चार बार एक - एक महीने के एकांतर व दस प्रत्याख्यान भी 6 बार किये। 7.11.85 श्री सुलेखाजी 'हिसार' (सं. 2038- वर्तमान) 9/506 आप गोयल गोत्रीय लाला ओमप्रकाशजी की कन्या हैं। जगत्प्रभाश्रीजी आपकी ज्येष्ठ भगिनी हैं, कार्तिक शुक्ला 2 को नई दिल्ली में आपकी दीक्षा हुई। आप लेखन, सिलाई, रंगाई में कुशल हैं। 7.11.86 श्री सूरजप्रभाजी 'टमकोर' (सं. 2038 - वर्तमान) 9 / 507 आपका जन्म संवत् 2015 श्री श्रीचन्दजी कोठारी के यहां हुआ, तथा दीक्षा सरदारशहर में पौष शुक्ला 5 को हुई। आप कलाप्रिय हैं। एक पन्ने पर दशवैकालिक सूत्र की 205 गाथाएं एवं पीपल के सूखे पत्तों पर अपनी कला का प्रदर्शन किया। Jain Education International 865 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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