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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
6.5.2.11 श्री कुसुमबाई (सं. 2016 - 49)
आप सुरेन्द्रनगर के श्री वाडीलाल कस्तूरचन्द की कन्या हैं। सुरेन्द्रनगर में ही कार्तिक कृष्णा 3 संवत् 2016 को आपकी दीक्षा हुई। आप यथा नाम तथा गुण के अनुसार कोमल, कमनीय एवं कलात्मक थीं। व्याख्यान शैली अत्यन्त रूचिकर एवं हृदयस्पर्शी थी, अनेकों की जीवन निर्मात्री थीं। 11 वर्ष तक निरंतर एकासन तप किया। आपके प्रवचन 'कुसुम किरण' और 'कुसुमसौरभ' नाम से प्रकाशित हुए हैं। संवत् 2044 अमदाबाद में आपका स्वर्गवास हुआ।74 6.5.2.12 श्री सुशीलाबाई (सं. 2017 से वर्तमान)
आप श्री रमाबाई की लघु भगिनी हैं। वैशाख शु. 11 को ध्रांगध्रा में आपकी दीक्षा हुई। आप रास, वार्ता आदि के द्वारा धर्म प्रभावना के सुन्दर कार्य करती हैं।
6.5.2.13 श्री मंगलाबाई (सं. 2019 से वर्तमान)
आप वढवाण निवासी अमरशी दुर्लभजी की सुपुत्री हैं। वढवाण में ही कार्तिक कृ. 11 को आप दीक्षित हुई। आप सेवाभावी साध्वी हैं, स्वाध्यायी साध्वियों के लिये इनका सहयोग सराहनीय है।
6.5.2.14 श्री मधुबाई (सं. 2019)
आप जोरावरनगर के श्रीमति समरतबेन हरिलालभाई की दुलारी कन्या हैं, सं. 2019 मृगशिर शुक्ला 6 को । श्री लीलावतीबाई के चरणों में जोरावरनगर में ही आपकी दीक्षा हुई। आपका कंठ मधुर है, स्मरणशक्ति प्रखर है, सुत्तागम व अत्थागम में आप गहरी पहुंची हुई हैं, साथ ही तपस्विनी भी हैं। 6.5.2.15 श्री निर्मलाबाई (सं. 2019 से वर्तमान)
आप मोरबी के श्री रेवाशंकर प्रभुदासजी की पुत्री हैं। सं. 2019 वैशाख शुक्ला 11 को 'सरा' ग्राम में आप दीक्षित हुईं। आप स्वच्छ निर्मल प्रकृति की हंसमुख स्वभाव की साध्वी हैं, राग-द्वेषजन्य स्थिति को समत्व पूर्ण । बनाने में कुशल हैं, आप रसपरित्यागी भी हैं। 6.5.2.16 श्री भारतीबाई (सं. 2020 से वर्तमान)
आप वढवाण के श्री सवाईलाल पानचंदजी की सुपुत्री हैं। माघ शु. 11 सं. 2020 को आपने वढवाण में । ही दीक्षा धारण की। आपने अनेक गीत व रास आदि बनाये, बेले-बेले वर्षीतप व 16 आदि अनेक उपवास करती हुई आत्मशुद्धि के मार्ग पर अग्रसर हैं। 6.5.2.17 श्री सुलोचनाबाई (सं. 2022 से वर्तमान)
आप सीतापुर के श्री मनसुखलाल त्रिभुवनदासजी की कन्या हैं। सुरेन्द्रनगर में मृगशिर शु. 2 को आप दीक्षित 274. कुसुम किरण, प्रकाशक-दिनकरभाई मोतीलाल शाह, मलाड (वेस्ट) मुंबई-64, ई. 2001
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