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जैन श्रमणियों का बृहद इतिहास
पांच वर्ष की थी, तब आपकी दादीजी अपनी भानजी ( महासती मनोहरमती जी ) के दीक्षोत्सव पर दादरी में महासती द्रोपदांजी महाराज के पास गई और वहीं पर आपको नवदीक्षिता महासती मनोहरमतीजी के चरणों में अर्पित कर दिया। आपने लाला गन्नूमलजी के यहां रहकर विद्याध्ययन किया और आठ वर्ष की अल्पायु में संवत् 1987 मृगसिर शुक्ला 10 को चिराग दिल्ली में प्रव्रज्या अंगीकार की। आप उच्चकोटि की शास्त्रज्ञाता थीं। अनेक शास्त्र एवं स्तोक आपको कंठस्थ थे। आपका उपदेश एवं व्याख्यान भी अतीव सरस व प्रभावशाली था। आपकी 4 शिष्याएँ हैं - श्री कृष्णाजी, श्री रमेशकुमारीजी, श्री कमलजी, श्री संतोषजी । 144
6.3.2.49 श्री रायकलीजी (सं. 1988-2058 )
आपका जन्म खानपुर (पंजाब) में श्री बरकतरायजी के घर हुआ। साधु-साध्वियों के प्रति आकर्षण ने आपको 11 वर्ष की उम्र में संसार की आसक्ति का त्याग करवा कर जिनधर्म में दीक्षित कर दिया। आप स्वभाव से सरल एवं विनम्र थीं, सेवा की भावना तो आपमें कूट-कूट कर भरी हुई थी आप की दो शिष्याएँ बनीं - श्री सरलादेवीजी एवं श्री सुशीलाजी । श्री सुशीला जी दृढ़ वैराग्यशीला साध्वी थीं, 32 वर्ष की उम्र में पतिवियोग के पश्चात् छपरौली में सं. 2018 में दीक्षित हुईं। ये सहिष्णु, मधुरभाषिणी, विनम्र व सेवापरायणा थीं। 145
6.3.2.50 श्री फूलवतीजी (सं. 1989-2035 )
आप सोजत निवासी ओसवालवंशीय श्री बिशनदासजी मेहता की सुपुत्री थीं, दिल्ली के लाला धन्नामल जी सुजन्ती से आपका विवाह हुआ, उनसे एक पुत्री श्रीमती नगीनादेवी चौरड़िया का जन्म हुआ, जो स्वाध्यायप्रेमी महिला हुईं। पतिवियोग के पश्चात् फूलवतीजी सुदर्शनाजी के पास संवत् 1989 ज्येष्ठ कृष्णा अष्टमी को दीक्षित हुईं। आप संयमनिष्ठ क्रियाशील जागरूक साध्वी थीं, जीवन के अंतिम वर्षों में दिल्ली पत्तलगली में वर्षों तक स्थिरवासिनी रहीं। 85 वर्ष की उम्र में तीन दिन के संथारे के साथ 21 अप्रेल 1977 को स्वर्गवासिनी हुईं। 146
6.3.2.51 श्री हर्षावतीजी (सं. 1990 )
आपकी दीक्षा संवत् 1990 मिगसर सुदी 5 को 12 वर्ष की लघुवय में श्री पन्नादेवीजी के पास हुई। आपकी आवाज बड़ी सुरीली व मीठी थी। पंजाब में सर्वत्र आप ' भारत कोकिला' के नाम से प्रसिद्ध थीं। आपकी स्वर - लहरियों से आकर्षित होकर राह पर चलते लोग स्थानक में आकर बैठ जाते थे। आपकी शिष्या अशोक कुमारी जी (सं. 2007) एवं अशोक कुमारी जी की शिष्या श्री स्नेहलताजी (सं. 2016) देहली के लाला छुट्टनमल जी वकील की सुपुत्री थीं। आपकी शांति, गंभीरता, आगमज्ञता व सेवाभावना की सभी बड़ी प्रशंसा करते हैं। 147
6.3.2.52 उपप्रवर्तनी श्री सत्यवतीजी (सं. 1992-2051 )
महास्थविरा, श्री सत्यवतीजी महाराज का जन्म वि. सं. 1966 झिंझाणा (मुजफ्फरनगर) में सेठ श्री
144. वही, पृ. 212
145. साधना पथ की अमर साधिका, पृ. 135
146. उ. प्र. श्री कौशल्यादेवी जीवन दर्शन, पृ. 40
147. साधना पथ की अमर साधिका, पृ. 136
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