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जैन श्रमणियों का बहद इतिहास
1394 चैत्र शुक्ला पूर्णिमा को 15 साधुओं एवं श्रावकों के साथ 'अर्बुदतीर्थ' की यात्रा पर गये तब आप भी आठ साध्वियों के साथ उस तीर्थ यात्रा में सम्मिलित हुई थीं।
5.1.60 श्री चारित्रलक्ष्मी (संवत् 1345)
संवत् 1345 वैशाख कृष्णा 1 के दिन जाबालिपुर में श्री जिनचन्द्रसूरिजी के द्वारा इनकी दीक्षा हुई।74 5.1.61 श्री रत्नश्री (संवत् 1346)
संवत् 1346 फाल्गुन शुक्ला 8 को जाबालिपुर में श्री जिनचन्द्रसूरिजी के द्वारा 'रत्नश्रीजी' की दीक्षा हुई। 5.1.62 श्री मुक्तिलक्ष्मी, मुक्तिश्री (संवत् 1346)
संवत् 1346 ज्येष्ठ कृष्णा 7 को भीमपल्ली में श्री जिनचन्द्रसूरिजी के श्री मुख से इन दोनों ने दीक्षा अंगीकार की। उस समय शासन की महती प्रभावना हुई थी। 5.1.63 श्री मुक्तिचन्द्रिका (संवत् 1347)
__ श्री मुक्तिचंद्रिका की दीक्षा संवत् 1347 चैत्र कृष्णा 6 को बीजापुर में श्री जिनचन्द्रसूरिजी द्वारा हुई।” 5.1.64 श्री अमृतश्री (संवत् 1348)
संवत् 1348 वैशाख शुक्ला 3 को प्रहलादपुर में श्री सूरिजी के हाथों इन्होंने संयम ग्रहण किया था। 5.1.65 श्री हेमलक्ष्मी (संवत् 1351)
संवत् 1351 माघ कृष्णा 5 को प्रह्लादपुर में इनकी दीक्षा श्री जिनचन्द्रसूरिजी द्वारा हुई।
5.1.66 श्री जयसुंदरी (संवत् 1354)
संवत् 1354 ज्येष्ठ कृष्णा 10 को जाबालिपुर में इनकी दीक्षा श्री जिनचंद्रसूरिजी द्वारा हुई।१०
73. ख. बृ. गु., पृ. 59, 87 74. ख. बृ. गु., पृ. 59 75. ख. बृ. गु., पृ. 59 76. ख. बृ. गु., पृ. 60 77. ख. बृ. गु., पृ. 61 78. ख. बृ. गु., पृ. 61 79. ख. बृ. गु., पृ. 62 80. ख. बृ. गु., पृ. 62
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