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श्वेताम्बर परम्परा की श्रमणियाँ 5.3.11.30 श्री हर्षपूर्णाश्रीजी (संवत् 2015-30)
जन्म मालवाड़ा, पिता गोपाजी माता वकतु बहन, दीक्षा - क्षय रोग में दीक्षा का संकल्प 16 वर्ष की उम्र में संवत् 2015 वैशाख शुक्ला 3 मालवाड़ा में दीक्षा, गुरूणी श्री त्रिलोचनाश्रीजी, शिष्या - चारित्रपूर्णाश्रीजी, संयमपूर्णाश्री, कीर्तिपूर्णाश्री आदि 21 शिष्या-प्रशिष्या। संवत् 2030 वांकडिया में स्वर्गवास हुआ।ls 5.3.11.31 श्री पद्मलताश्रीजी (संवत् 2016 से वर्तमान)
जन्म मोरवाडा (गुजरात) पिता वीरचंदजी दोशी माता मथुरीबहन, दीक्षा संवत् 2016 माघशुक्ला 10 राधनपुर, गुरूणी श्री भद्राश्रीजी, तपस्या-वर्षीतप, वर्धमान ओली 12 अन्य तप साधनाएँ, चातुर्मास क्षेत्र-पालीताणा, धानेरा, महेसाणा, बोटाद, मोरवाड़ा, समी, पाटण, मुंबई, अमदाबाद आदि। 5.3.1.32 श्री रत्नप्रभाश्रीजी (संवत् 2017 से वर्तमान)
अमदाबाद में जन्म, पिता कोदरलाल, माता हीराबहन, संवत् 2017 वैशाख कृष्णा 2 अमदाबाद में दीक्षा, गुरूणी श्री महेन्द्र श्रीजी। तपस्या-वर्षीतप, वर्धमान तप की ओली, घड़िया बेघड़िया, उजमणा, अष्टाह्मिका महोत्सव आदि में प्रेरणा, विचरण क्षेत्र-मारवाड, महाराष्ट्र, विदर्भ, राजस्थान, मालवा आदि।17
5.3.11.33 श्री कीर्तिप्रभाश्रीजी (संवत् 2018 से वर्तमान)
संवत् 1942 चाणस्मा में जन्म, माता शकरीबहन, पिता जीवणलाल, संवत् 2018 चैत्र कृष्णा 6 अमदाबाद में दीक्षा, गुरूणी श्री चंद्रकलाश्रीजी, ज्ञानसार, कम्मपयडी, उत्तराध्ययन, संस्कृत प्राकृत का अध्ययन, तपस्या-मासक्षमण, वर्षीतप, 500 आयंबिल, 11 उपवास, बीस स्थानक, वर्धमान तप, 96 जिन तप, आदि। अठाई महोत्सव, सिद्ध चक्रपूजन, शान्तिस्नात्र आदि में प्रेरणा। विचरण क्षेत्र - गुजरात, सौराष्ट्र, काठियावाड़, मेवाड़, मारवाड़, मालवा आदि। शिष्याएँ - श्री विश्वप्रभाश्रीजी, श्री पुष्पलताश्रीजी, सम्यग्रत्नाश्रीजी।18 5.3.11.34 श्री मृगेन्द्र श्रीजी (संवत् 2018 से वर्तमान)
__कुवाला ग्राम में संवत् 2001 में जन्म, पिता भोगीभाई माता जशोदाबहन, संवत् 2018 गल्गुन शुक्ला 4 को दीक्षा। गुरूणी श्री पद्मलताश्रीजी, तप-5, 8, 9, 16 उपवास, मासक्षमण, सिद्धितप, वर्षीतप, बीस स्थानक, वर्धमान
ओली 15, विहार क्षेत्र-गुजरात, सौराष्ट्र, मुंबई राजस्थान आदि। शिष्याएँ-श्री अर्हत्प्रज्ञाश्रीजी, प्रशांतरसाश्रीजी, कर्मजिताश्रीजी।419
415. वही, पृ. 644 416. वही, पृ. 649 417. वही, पृ. 650 418. वही, पृ. 650 419. वही, पृ. 650
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